1000+ Word Corruption Essay in Hindi : – आज दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत देश भ्रष्टाचार से जूझ रहे हैं। देशों की स्थिति भ्रष्टाचार के कारण दिन-ब -दिन दयनीय होती जा रही है। दुनिया के अधिकतर विकासशील देश आज भ्रष्टाचार के चपेट में है।
कई लोग भ्रष्टाचार का मतलब सिर्फ नेता तक समझते हैं। पर भ्रष्टाचार इससे कही अधिक है। एक दूधवाला अपने दूध में पानी मिलाता है और उसे बाजार में बेचता है, यह भी भ्रष्टाचार के अन्दर आता है। शहरों में ऑटोरिक्शा वाले लोगों से 10 रूपये की जगह 50 से 100 तक वसूल लेते हैं, यह भी भ्रष्टाचार के अंतर्गत ही आता है।
भ्रष्टाचार को सिर्फ नेता तक समझा जाना गलत है. भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi) लिखने का यही उद्देश्य है कि इसके प्रति कोई जागरूक हो सकें और भ्रष्टाचार का सही मायनों में अर्थ समझ सके।
प्रस्तावना
भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ होता है, भ्रष्ट आचरण। अर्थात अपने हितों के लिए ऐसे काम करना जिससे समाज की कोई भलाई न हो। भ्रष्टाचार आज सभी विकासशील देशों की एक बहुत बड़ी समस्या है।
भ्रष्टाचार बहुत पहले से चली आ रही समस्या है। पहले राजा – महाराजा अपने थोड़े से फायदे के लिए देश के टुकडे करने को तैयार रहते थे। इसी का लाभ उठाकर ब्रिटेन ने दुनिया के लगभग 90 प्रतिशत देशों पर अपना कब्ज़ा जमा लिया था। तब से चला आ रहा भ्रष्टाचार आज भी पूरी दुनिया में व्याप्त है।
भ्रष्टाचार का कारण
वैसे तो भ्रष्टाचार के बहुत अधिक कारण है जिसमें से दो प्रमुख कारणों के बारे में नीचे बताया गया है।
व्यक्ति का लालची स्वभाव – भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा कारण किसी भी व्यक्ति का लालची स्वभाव है. लालच वह होता है जब कोई व्यक्ति अपने स्वार्थ के लिए समाज के हितों का गला घोंट देता है. लालच में आकर वयक्ति भूल जाता है कि क्या सही है और क्या गलत।
कोई बड़े पद पर आसीन व्यक्ति किसी का एक छोटा सा काम करने के लिए घूस लेता है। वह भूल जाता है कि वह इस पद पर इसलिए बैठा है क्योकि वह जरूरतमंद लोगों का काम कर सके। उसे इस काम के लिए पैसे मिलते है, लेकिन तब भी और अधिक की चाह में वह घूस लेता है।
एक छोटा सा काम करने वाला व्यक्ति भी भ्रष्टाचार करता है। दूध वाला अपने दूध में पानी मिलाकर लोगों को बेचता है। जिससे वह अधिक मुनाफा कमा सके। पर वह भूल जाता है कि लोग शुद्ध दूध लेने के लिए उसे पैसे देते हैं। लालच का भूत उस पर इस प्रकार से हावी रहता है कि वह खुद को दूध में पानी मिलाने से रोक नहीं पाता।
यह तो एक छोटा सा उदहारण है, इसी प्रकार देश में अनेक ऊँचे पदों पर बैठे लोग से लेकर एक निचले वर्ग पर काम करने वाले तक लालची स्वभाव के कारण भ्रष्टाचार को बढ़ाते हैं।
क़ानून व्यवस्था में लचीलापन – भ्रष्टाचार का दूसरा मुख्य कारण है देश के कानून का लचीलापन। देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ लचीले क़ानून व्यवस्था के कारण व्यक्ति भ्रष्टाचार करने से नहीं डरता है। भ्रष्टाचार की रोकथाम के लिए देश की कानूनी व्यवस्था में सख्ती होनी बेहद जरुरी है।
भ्रष्टाचार के प्रकार
- रिश्वत या घूसखोरी :- घूसखोरी भ्रष्टाचार का ही एक रूप है। बड़े पदों पर आसीन व्यक्ति घूसखोरी के माध्यम से भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं।
- भाई भतीजावाद भी भ्रष्टाचार के अंतर्गत ही आता है। आज के समय में एक प्राइवेट नौकरी पाने के लिए भी भाई – भतीजावाद होता है। जिससे एक अयोग्य व्यक्ति को कोई पद मिल जाता है और योग्य व्यक्ति बेरोजगार रहता है।
- खेल में घूसखोरी : आज के समय में भारत में यह एक बड़ी समस्या है. सरकार को इस ओंर ध्यान देने की जरुरत है. खेलों में घूसखोरी के कारण एक प्रतिभावान खिलाडी को कोई मंच नहीं मिल पाता है. और एक अयोग्य खिलाडी अच्छे स्तर पर खेलता है।
- चुनावों के समय पर नेता एक वोट लेने के लिए नशीले पदार्थों और पैसों को जनता तक पहुचाते है। जिससे उन्हें वोट मिले और वे सत्ता पर काबिज हो सके। यह भी भ्रष्टाचार के अंतर्गत आता है।
- जब भी किसी परियोजना के लिए कोई बजट आता है, तो बीच में बैठे लोग 90 प्रतिशत धन को हथिया लेते हैं, और मात्र 10 प्रतिशत धन परियोजना पर खर्च करते हैं। जिससे कई सारे बिल्डिंग, पूल सड़के कुछ ही समय तक चल पाती हैं और जल्दी ही टूट कर ढह जाती है। यह भी भ्रष्टाचार के अंतर्गत ही आता है।
ये तो कुछ ही उदाहरण हैं इन सभी के अलावा अनेक माध्यमों से भ्रष्टाचार किया जा रहा है।
भ्रष्टाचार के दुष्परिणाम
भ्रष्टाचार देश को अन्दर ही अन्दर खोखला करता जा रहा है। यह भ्रष्टाचार का ही दुष्परिणाम है जिसके कारण एक अयोग्य व्यक्ति ऊँचे पद पर आसीन है। भ्रष्टाचार से अमीर व्यक्ति और अधिक अमीर होता जा रहा है। वह देश और समाज के हितों के बारे में भूल गया है। अपने निहित स्वार्थ के लिए वह खुद को भ्रष्ट होने से नहीं रोक पाता है।
देश में बड़ी लागत के कई सारे पुल मात्र 1 साल के अन्दर ही टूट जाते हैं, नयी सड़कों में कुछ ही समय के अन्दर बड़े – बड़े गढ्डे हो जाते हैं। ऊँची इमारते कुछ ही साल भी नहीं टिक पाती हैं. इन सब के कारण अनेक जान – माल की हानि होती है। ये सब भ्रष्टाचार के बहुत भयावह दुष्परिणाम हैं।
भारत में हुए कुछ घोटाले
भारत के भ्रष्टाचार की आड़ में हुए कुछ घोटाले निम्नलिखित हैं, ये सभी घोटाले भारत में हमेशा से ही बहुत अधिक चर्चित रहे हैं।
- 1986 में भारत में 60 करोड़ रुपयों का बोफोर्स घोटाला हुवा था।
- 1992 में 4 हजार करोड़ रुपयों का शेयर बाजार घोटाला हुवा था।
- 1996 के दौरान भारत में 133 करोड़ रुपयों का यूरिया घोटाला हुवा।
- 1994 से चले आ रहे 950 करोड़ का चारा घोटाला का कुछ वर्ष पहले ही पर्दाफाश हुवा।
- 2010 में 70 हजार करोड़ का कॉमनवेल्थ घोटाला हुवा।
- 2010 में 12 लाख करोड़ का कोयला घोटाला सामने आया।
- 2007 में सामने आये 1 लाख 60 करोड़ से अधिक रकम का 2g स्पेक्ट्रम घोटाला भारत में हुए सबसे बड़े घोटालों में से एक था।
- 2009 में 7 हजार करोड़ का सत्यम घोटाला सामने आया।
ये तो कुछ ही घोटाले हैं इन सभी के अलावा भारत में अनेक सारे घोटाले हुए हैं।
भ्रष्टाचार को रोकने के उपाय
भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सबसे जरुरी है देश को कड़ा क़ानून बनाया चाहिए। भ्रष्टाचार करने वाले व्यक्ति को कड़ी से कड़ी सजा सुनानी चाहिए जिससे कोई भी व्यक्ति भ्रष्टाचार करने से स्वतः ही डरे। जब तक भ्रष्टाचार के खिलाफ देश का कड़ा कानून नहीं होगा तब तक भ्रष्टाचार को रोका नहीं जा सकता हैं।
एक व्यक्ति भी भ्रष्टाचार को रोकने में अपनी भूमिका दे सकता है। जो व्यक्ति भ्रष्टाचार करते हैं उनका विरोध करना चाहिए और उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही करनी चाहिए। लोगों को घूस देने से इंकार करना चाहिए।
भारत ने भी भ्रष्टाचार को रोकने के लिए बहुत अधिक प्रयास किये हैं. जैसे डिजिटल भारत की शुरुवात करना। इससे कई सारे लोग बहुत सारा काम , जैसे बैंक का , अपना बिजली का बिल भरना ऐसे ही तमाम कार्य खुद से घर बैठे ही कर सकते हैं. जिससे उन्हें किसी को घूस देने की जरुरत न पड़े। कई अवैध दुकानों में ताले लगाये लगे, उचे पदों पर बैठे भ्रष्ट लोगों को नौकरी से निकाला गया।
पर ये प्रयास अभी भी बहुत छोटे हैं, भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए और अधिक कड़े कदम उठाने की जरुरत है। जिससे समाज प्रगति कर सके और देश विकसित हो सके।
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उपसंहार
भ्रष्टाचार वास्तव में समाज की बहुत बड़ी समस्याओ में से एक है। अगर समय पर इसके रोकथाम के लिए कड़े कदम नहीं उठाये गए तो भविष्य में देश की उन्नति पर बहुत ही गहरा असर पड़ेगा। हर एक इंसान को भ्रष्टाचार के प्रति जागरूक होना पड़ेगा और भ्रष्टाचार करने वालों का विरोध करना होगा। तभी जाकर भ्रष्टाचार कुछ हद तक कम हो सकता है।
भ्रष्टाचार पर निबंध (Corruption Essay in Hindi) लिखने का यही मकसद था कि जन – जन को इस बारे में जागरूक कर सकूँ। आपको यह निबंध कैसा लगा कमेन्ट बॉक्स में अपनी प्रतिक्रिया जरुर दें।