शाहरुख खान का जीवन परिचय | Shahrukh Khan Biography in Hindi

दोस्तों! Shahrukh Khan Biography in Hindi लेख में आज हम बात करेंगे बॉलीवुड के सुपर स्टार और किंग खान से मशहूर शाहरूख खान की। जो कहते है, “अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने में जुट जाती है।”

बॉलीवुड के जाने-माने अभिनेता शाहरुख़ खान आज किसी के परिचय की मोहताज नहीं हैं। अपनी अदाकारी से पूरी दुनिया में अपना लोहा मनवाने वाले शाहरुख़ ने बहुत कड़े संघर्ष के बाद यह मुकाम हासिल किया है। तो आइए जानते हैं बॉलीवुड के बादशाह की पूरी कहानी विस्तार से।

Shahrukh Khan Biography in Hindi

नाम शाहरुख़ खान 
जन्म 2 नवम्बर 1965 
जन्म स्थान राजेंद्र नगर दिल्ली 
पेशा अभिनेता (Film Star)
पहली फिल्म ‘दीवाना’ (1992)
पिता मीर ताज मोहम्मद
माता लतीफ़ फातिमा 
बहन शहनाज खान 
शिक्षा अर्थशास्त्र से स्नातक / M.Com ड्रॉपआउट 
स्कूल / कॉलेज का नाम संत कोलंबिया स्कूल / हंसराज कॉलेज / जामिया मिलिया इस्लामिया कॉलेज, दिल्ली 
पत्नी गौरी खान (गौरी छिब्बर)
बच्चेंबेटा- आर्यन खान, अबराम खान और बेटी- सुहाना खान

शाहरुख खान का जन्म और परिवार

शाहरुख खान का जन्म 2 November 1965 को दिल्ली के एक बेहद गरीब मुस्लिम परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम मीर ताज मोहमद और माता का नाम लतीफ़ फातिमा था।

इसके अलावा उनकी एक बहन भी है जिनका नाम शहनाज खान है। उनके पिता एक सवंत्रता सेनानी थे। भारत-पकिस्तान विभाजन से पहले उनका परिवार पेशावर में रहता था, जो वर्तमान पाकिस्तान में है, लेकिन विभाजन के बाद 1948 में उनका परिवार दिल्ली के राजेन्द्र नगर इलाके में एक किराये के मकान में रहने लगा, जहाँ शाहरुख के पिता एक रेस्टॉरेंट चलाते थे।

शाहरुख़ खान की शिक्षा

शाहरुख़ खान ने अपनी शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के St. Columbia School से की। शाहरुख़ खान पढ़ाई में भी बहुत अच्छे थे। इसके साथ ही उन्हें खेलने का भी बहुत शौक था। उन्होंने खेल और पढ़ाई में बहुत सारे अवार्ड भी जीते हैं। 

स्कूल की पढाई खत्म करने के बाद शाहरुख़ खान ने हंसराज कॉलेज में दाखिला लिया और अर्थशास्त्र से स्नातक की डिग्री ली। इसके बाद वो M.Com की पढाई के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया कॉलेज में दाखिला लिया लेकिन एक्टिंग में व्यस्तता के कारण उन्होंने M.Com की पढाई बीच मे ही छोड़ दी।

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पिता का निधन 

जब शाहरुख खान जब महज 16 साल के थे तो उनके पिता की कैंसर से मौत हो गई। जिससे उनके परिवार की आर्थिक हालत बहुत खराब हो गयी। परिवार पर जैसे दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। इन विषम परिस्थितियों में शाहरूख खान ने अपने परिवार को संभाल।

वो दिन में स्कूल जाते और परिवार की जिम्मेवारी को पूरा करने के लिए शाम को रेस्टोरेंट पर काम भी करते थे। उन्होंने दिन-रात मेहनत करके पूरी जिम्मेदारी के साथ अपनी माँ और बहन को संभाला। जिंदगी की इन्ही कठिन परिस्थितियों ने शाहरुख़ को बहुत मजबूत बना दिया था।

एक्टिंग में एंट्री

एक बार शाहरुख खान स्कूल में फूटबाल खेल रहे थे और खेलने में उनको चोट लग गयी जिस कारण वे स्कूल टीम से बाहर हो गए। फिर, उनके एक दोस्त ने उन्हें स्कूल के एक एक्टिंग शो में भाग लेने के लिए कहा, फिर क्या था उनके जिंदगी में एक नया मोड़ आ गया। और, उनका पूरा ध्यान एक्टिंग की तरफ जाने लगा।

जब शाहरुख़ खान हंसराज कॉलेज में पढ़ते थे तभी उन्होंने एक्टिंग सीखने के लिए बैरी जॉन स्टूडियो जॉइन कर लिया और वहीं से एक्टिंग सीखने लगे।

अपनी M.Com की पढाई छोड़ने के बाद शाहरुख़ खान ने नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में दाखिला लिया। अपनी बेहतरीन अदाकारी की वजह से उन्हें TV सीरियल में काम करने का मौक़ा मिला। उन्होंने फ़ौजी सीरियल से अपने TV करियर की शुरुआत की। इसके अलावा उन्होंने उम्मीद, सर्कस, वागले की दुनिया जैसी TV सीरियल में काम किया।

फिल्म करने मुंबई आये

1990  में शाहरुख खान की माता का भी देहांत हो गया। जिसके बाद शाहरुख ने TV Serial की कमाई से बचे पैसों से मुंबई जाने का फैसला किया, जहाँ उन्हें कोई नही जानता था।

उन्होंने मुंबई में भी बहुत संघर्ष किया। जब उनके लिए किराये देने के पैसे भी नही थे तो वे डायरेक्टर या प्रोडूसर के ऑफिस  में ही सो जाया करते थे। कभी-कभी वो अपने दोस्तों के घर भी सो जाया करते थे।

नौबत यहाँ तक आ गयी थी कि उन्हें पैसों के लिए अपना कैमरा भी बेचना पड़ गया था। कहते हैं जब एक दिन उनके जेब में मात्र 20 रूपये बचे थे तो अपने संघर्ष से इमोशनल होकर उन्होंने अपने दोस्तों से कहा था- “एक दिन यह शहर मुझे बादशाह कह कर बुलाएगी।” और, अपनी मेहनत से उन्होंने इस बात को सच साबित करके दिखाया।

कामयाबी की कहानी 

कहा जाता है, भगवान् के घर देर है, अंधेर नहीं। आखिरकार शाहरुख़ को अपनी पहली फिल्म मिल ही गई। 1992 में उनकी पहली फिल्म दीवाना बड़े पर्दे पर रिलीज हुई, जो जबरदस्त हिट रही।

इस फिल्म के लिए शाहरुख़ खान को फिल्म फेयर में Best Debut Male Actor का अवार्ड भी मिला। इसके बाद शाहरुख़ खान ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा और एक के बाद एक बहुत सारी हिट फिल्मे की। शाहरुख खान ने अब तक 90 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है। आज शाहरुख खान भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े कलाकारों में से एक हैं।

शाहरुख खान भारत के सबसे अमीर एक्टर हैं। साल 2023 में उनकी कुल नेटवर्थ 770 मिलियन डॉलर आंकी गयी।

शाहरुख़ खान के कुछ अवार्ड (Shahrukh Khan Award)

शाहरुख़ खान ने अपनी जिन्दगी में बहुत सारे अवार्ड जीते हैं।उन्होंने 14 फिल्म फेयर अवार्ड, 9 स्टार स्क्रीन अवार्ड, 8 जी-सिने अवार्ड, 3 IIFA अवार्ड, 2 ग्लोबल इंडियन फिल्म अवार्ड के अलावा और भी बहुत सारे अवार्ड जीते हैं।

शाहरुख़ खान के कुछ अवार्ड की सूची निम्नलिखित हैं :

  • 2005 में पदमश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया।

फिल्म फेयर अवार्ड

  • 1993 में ‘दीवाना’ मूवी के लिए बेस्ट डेब्यू
  • 1994 में ‘बाजीगर’ के लिए बेस्ट एक्टर
  • 1995 में ‘अंजाम’ मूवी के लिए बेस्ट विलेन
  • 1996 में ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ के लिए बेस्ट एक्टर
  • 1998 में ‘दिल तो पागल है’ के लिए बेस्ट एक्टर
  • 1999 में ‘कुछ-कुछ होता है’ मूवी के लिए बेस्ट एक्टर
  • 2003 में ‘देवदास’ मूवी के लिए बेस्ट एक्टर
  • 2004 और 2005 में पॉवर अवार्ड
  • 2005 में ‘स्वदेश’ मूवी के लिए बेस्ट एक्टर
  • 2008 में ‘चक दे इंडिया’ मूवी के लिए बेस्ट एक्टर और
  • 2011 में ‘माय नेम इज खान’ के लिए बेस्ट एक्टर अवार्ड।

इन सभी के अलावा भी शाहरुख़ खान ने अपने फ़िल्मी करियर में बहुत सारे अवार्ड जीते हैं।

शाहरुख़ खान का वैवाहिक जीवन

अगर बात करें उनके निजी जिंदगी की तो उन्होंने 1991 में बहुत परेशानियों के बाद अपनी प्रेमिका गौरी छिब्बर से शादी कर ली। उनके तीन बच्चे भी हैं जिनका नाम आर्यन खान, सुहाना खान और अबराम खान है।

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FAQs : Shahrukh Khan Biography in Hindi

Q 1. शाहरुख़ खान के पिता का नाम क्या था?

मीर ताज मोहमद। 

Q 2. शाहरुख खान के पिता क्या करते थे?

शाहरुख खान के पिता स्वतंत्रता सेनानी थे।

Q 3. शाहरुख खान की पत्नी का नाम क्या है?

शाहरुख खान की पत्नी का नाम गौरी छिब्बर है।

निष्कर्ष

शाहरुख़ खान की जीवनी बहुत ही प्रेरणादायक है, जिससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। जब हम अपनी जिन्दगी में एक लक्ष्य निर्धारित लेते हैं तो हमें बिना किसी की परवाह किये अपने लक्ष्य की ओर बढ़ते रहना चाहिए, जब तक वो हासिल न हो जाये।