कैबिनेट मिशन, भारत में संविधान निर्माण करने के तरीकों पर विचार-विमर्श करने के लिए आया था। वह ब्रिटिश भारत के निर्वाचित प्रतिनिधियों और देशी रियासतों के साथ बातचीत करके एक ऐसी आम सहमति बनाना चाहता था, जिससे एक निर्विवाद संविधान सभा का गठन किया जा सके। वर्ष 1946 में ब्रिटेन के प्रधानमंत्री एटली ने भारत में एक तीन सदस्यीय उच्च-स्तरीय शिष्टमंडल भेजने की घोषणा की। इस शिष्टमंडल में ब्रिटिश कैबिनेट के तीन सदस्य- लार्ड पैथिक लॉरेन्स (भारत सचिव), सर स्टेफर्ड क्रिप्स (व्यापार बोर्ड के अध्यक्ष) तथा ए. वी. अलेक्जेंडर (एडमिरैलिटी के प्रथम लार्ड या नौसेना मंत्री) थे। 3 नवंबर 1946 को कैबिनेट मिशन योजना द्वारा बनाई गई योजना के तहत संविधान सभा का गठन किया गया था।
साइमन आयोग
साइमन आयोग, सात ब्रिटिश सांसदों का एक समूह था, जिसका गठन 8 नवम्बर 1927 को भारत में संवैधानिक सुधारों के अध्ययन के लिए किया गया था, और इसका मुख्य कार्य मांटेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार की जांच करना था। 3 फरवरी 1928 को साइमन कमिशन भारत आया। भारतीय आंदोलनकारियों ने ‛‛साइमन कमीशन वापस जाओ’’ के नारे लगाकर इसका विरोध किया। साइमन कमीशन के विरुद्ध होने वाले इस आंदोलन में कांग्रेस के साथ-साथ मुस्लिम लीग ने भी भाग लिया। साइमन कमीशन (साइमन आयोग) नाम इसके अध्यक्ष सर जॉन साइमन के नाम पर रखा गया था।
क्रिप्स मिशन
क्रिप्स मिशन, मार्च 1942 में ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत भेजा गया एक मिशन था, जिसका उद्देश्य द्वितीय विश्वयुद्ध के समय अपने लिए भारत का पूर्ण सहयोग और समर्थन प्राप्त करना था। सर स्टैफोर्ड क्रिप्स इसके अध्यक्ष थे जो विंस्टन चर्चिल के मंत्रिमंडल के साम्यवादी झुकाव वाले एक वरिष्ट राजनेता एवं मंत्री थे।