अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय : दोस्तों, इस लेख के माध्यम से हम जानेंगे दुनिया के महान वैज्ञानिक और भौतिकी शास्त्री अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में। जिन्होंने दुनिया को सापेक्षता का सिद्धांत और द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण (E=mc2) दिया। जिसकी मदद से पूरी दुनिया बदल गयी, और दुनिया ने टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में बहुत ज्यादा प्रगति की। उन्हें दुनिया में मानव समाज का सबसे बुद्धिमान व्यक्ति माना जाता है।
भौतिकी में जितनी खोज अल्बर्ट आइंस्टीन ने की, उसके मात्र 10 प्रतिशत खोज ही अन्य वैज्ञानिक कर पाए है। अल्बर्ट आइंस्टीन को 1922 में भौतिकी के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। तो आइये जानते है महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन की पूरी जीवन कहानी (Albert Einstein Biography in Hindi) विस्तार से।
अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय
नाम | अल्बर्ट आइंस्टीन |
जन्म | 14 मार्च 1879 |
जन्म स्थान | UIM, जर्मनी |
पेशा | वैज्ञानिक और प्रोफ़ेसर |
शिक्षा | भौतिकी से पीएचडी की उपाधि |
स्कूल / कॉलेज का नाम | कैथलीन प्राइमरी स्कूल / लुइटपोल्ड जिमनेजियम स्कूल / स्विस फेडरल पालीटेकनिक कॉलेज / ज्यूरिख विश्वविधालय |
पिता | हरमन आइंस्टीन |
माता | पॉलिन आइंस्टीन |
बहन | माजा आइंस्टीन |
पत्नी | पहली पत्नी- मिलेवा मेरिक, दूसरी पत्नी- एल्सा आइंस्टीन |
बच्चे | बेटे- एडवर्ड आइंस्टीन और हंस आइंस्टीन, बेटी- लेइसेरल आइंस्टीन (तीनों बच्चे पहली पत्नी से) |
निधन | 18 अप्रैल 1955 |
अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म और परिवार
अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च 1879 को जर्मनी के UIM नामक शहर के एक यहूदी परिवार में हुवा था। उनके पिता का नाम हरमन आइंस्टीन और माता का नाम पॉलिन आइंस्टीन था। इसके अलावा उनकी एक छोटी बहन भी थी, जिसका नाम माजा आइंस्टीन था। उनके पिता एक इंजीनियर और सेल्समैन थे।
अल्बर्ट आइंस्टीन का आरंभिक जीवन
आइंस्टीन के जन्म के अलगे ही साल सन 1880 में उनका परिवार म्यूनिक नाम के शहर में शिफ्ट हो गया. अल्बर्ट आइंस्टीन को बचपन से ही खेलना – कूदना बिलकुल भी पसंद नहीं था। वो अधिकतर अकेले ही रहते थे।
जब अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म हुवा तो उनका सर सामान्य बच्चों की तुलना में काफी बड़ा था। और, उन्होंने 4 साल की उम्र तक कुछ बोला भी नहीं था, जिसके कारण उनके माता पिता ने मान लिया कि वो बोल नहीं सकते लेकिन 4 साल बाद उन्होंने बोलना शुरू किया और उनका पहला वाक्य था सूप गर्म है। जिसपर उनके माता-पिता बहुत खुश हुए और उनसे पूछा तुम पहले कभी क्यों नहीं बोले, तो इस पर उनका जवाब था पहले सब कुछ ठीक था।
अल्बर्ट आइंस्टीन के पाँचवे जन्मदिन के अवसर पर उनके पिता ने उनको एक कम्पास (दिशा सूचक यंत्र) उपहार के तौर पर दिया जिसे पाकर अल्बर्ट बहुत खुश हुए, उनके मन में हमेशा ये ख्याल आता कि इसकी सुई हमेशा उत्तर दिशा की तरफ ही क्यों रहती है। और, इसी तरह के अनेक विचारों ने उनकी विज्ञान के प्रति रूचि बहुत अधिक बढ़ा दी।
अल्बर्ट आइंस्टीन की माँ को संगीत का बहुत शौक था इसलिए वे चाहती थी की अल्बर्ट आइंस्टीन भी संगीत सीखें, अपनी माँ के कहने पर उन्होंने मात्र 6 साल की उम्र में वायलिन बजाना सीख लिया था, वे बहुत अच्छा वायलिन बजाते थे लेकिन कुछ समय बाद उन्होंने संगीत छोड़ दिया क्योकि उनको कोई भी काम बार-बार करना अच्छा नहीं लगता था।
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अल्बर्ट आइंस्टीन की शिक्षा
अपने बोलने में होने वाली समस्या के कारण उन्होंने स्कूल जाना देर से शुरु किया। उन्होंने अपनी आरंभिक शिक्षा म्यूनिक शहर के कैथलीन प्राइमरी स्कूल से की। इसके बाद आगे की शिक्षा के लिए उनका दाखिला लुइटपोल्ड जिमनेजियम स्कूल में करा दिया गया।
अल्बर्ट आइंस्टीन को स्कूल जाना बिल्कुल भी पसंद नहीं था, क्योकि उन्हें लगता था कि जो स्कूल की शिक्षा होती है वो अधूरी ही होती है। किताब में लिखी कोई भी बात को बिना सोच-समझ के मानना अल्बर्ट आइंस्टीन को पसंद नहीं था, इसलिए वे अधिकतर अपने अद्यापकों से बहुत अजीब-अजीब से प्रश्न पूछते थे जिसकी वजह से उनके अध्यापक उनको एक मंद बुद्धि बालक समझते थे। अपने यहूदी धर्म होने के कारण स्कूल में बच्चे उनका बहुत मजाक बनाते थे और उनको परेशान करते थे।
अल्बर्ट आइंस्टीन को फिजिक्स और गणित में ज्यादा रूचि थी. वो अधिकतर यही विषय ज्यादा पढ़ते थे जिसके कारण छोटी से उम्र में ही उन्होंने भौतिकी और गणित में महारत हासिल कर ली थी। अल्बर्ट आइस्टीन के लिए शिक्षा का सबसे बड़ा केंद्र खुद उनका घर था, जहां उनके पापा और चाचा उनको पढ़ाया करते थे। उनके चाचा ने उनको बीजगणित बहुत अच्छे से सिखाया था।
कुछ समय बाद अल्बर्ट आइंस्टीन के पिता को व्यापार में नुकसान हुवा जिसके बाद वे अपना नया व्यापार शुरू करने के लिए इटली के मिलान शहर चले गए लेकिन इसके कुछ समय बाद ही वो पाविया शिफ्ट हो गए। लेकिन अल्बर्ट आइंस्टीन को अपनी पढ़ाई के कारण म्यूनिक ही रुकना पड़ा। अपने परिवार से यूं बिछड़ जाना उन्हें बहुत बुरा लगा इसलिए 1894 में वे बीमारी का बहाना बनाकर इटली आ गए।
अपनी आगे की पढ़ाई के लिए अल्बर्ट आइंस्टीन ने ज्यूरिख के Swiss Federal polytechnic College में दाखिला लेने के लिए एंट्रेंस एग्जाम दिया लेकिन इसमें वे असफल रहे. इसके बाद उन्होंने अपने एक अध्यापक की सलाह पर स्विटज़रलैंड के आरो में स्थित कैंटोनल स्कूल से डिप्लोमा किया और 1896 में उन्होंने फिर से Swiss Federal polytechnic College के लिए एंट्रेंस एग्जाम दिया और इस बार वे सफल हो गए।
और 1900 में उन्होंने अपने स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1905 में ज्यूरिख विश्वविधालय से उन्होंने पीएचडी की पढ़ाई पूरी की। इसी बीच उन्होंने स्विटज़रलैंड की नागरिकता भी ले ली।
अल्बर्ट आइंस्टीन का करियर
साल 1894 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने अपना पहला रिसर्च पेपर लिखा जिसका टाइटल था— “ON THE INVESTIGATION OF THE STATE OF THE EATER IN A MAGNETIC FIELD.”
जब अल्बर्ट आइंस्टीन ने स्नातक की पढ़ाई पूरी की तब उन्होंने बहुत स्कूल और कॉलेज में टीचिंग की नौकरी के लिए आवेदन भी किया लेकिन उस समय पर उन्हें कही भी जॉब नहीं मिली। 2 साल भटकने के बाद उन्हें 1902 में स्विट्ज़रलैंड के एक Patent Office में नौकरी मिल गई।
1908 में उन्हें University of Bern में एक लेक्चर के रुप में नियुक्ति हुई. लेकिन यहाँ मात्र 1 साल काम करने के बाद ज्यूरिख चले गए। ज्यूरिख विश्वविधालय में उनकी नितुक्ति एक प्रोफ़ेसर के रुप में हुए. 1911 में अल्बर्ट आइंस्टीन प्रेग चले गए, यहाँ उन्होंने चार्ल्स फर्डिनेंड यूनिवर्सिटी में प्रोफ़ेसर पद पर नौकरी की।
1912 में वो वापस ज्यूरिख चले गए , लेकिन 2 साल बाद ही 1914 में वे बर्लिन चले गए। 1921 में अल्बर्ट आइंस्टीन अमेरिका चले गए , यहाँ उनको कोलंबिया यूनिवर्सिटी में लैक्चर देने के लिए बुलाया गया था। 1930 में अल्बर्ट आइंस्टीन कोलंबिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में एक रिसर्चर के तौर पर जुड़ गए जहाँ उन्होंने अनेको अविष्कार किये।
अल्बर्ट आइंस्टीन के कुछ अविष्कार
- सापेक्षता का सिद्धांत
- द्रव्यमान ऊर्जा समीकरण E=MC square (इस सूत्र की मदद से परमाणु बम बनाये जा सके)
- प्रकाश की क़्वांटम थ्योरी (जिसकी मदद से ध्वनि चलचित्र बनाये जा सके)
- आसमान के नीले होने का कारण
- तरंग-कण की द्वैत प्रकृति
- रेफ्रिजेटर की खोज
अल्बर्ट आइंस्टीन का वैवाहिक जीवन
अगर बात करे अल्बर्ट आइंस्टीन के निजी जीवन की तो उन्होंने अपने जिंदगी में 2 शादियां की थी। उनकी पहली पत्नी का नाम मिलेवा मेरिक था, अल्बर्ट आइंस्टीन से उनकी मुलाकात स्कूल में हुई थी। उन्होंने 1903 में शादी कर ली थी। उन दोनों के तीन बच्चे हुए. जिनमे 2 लड़के और 1 लड़की थी। उनका नाम क्रमशः एडवर्ड, हंस और लेइसेरल आइंस्टीन था। लेकिन 1919 में इनका तलाक हो गया। इसके बाद एल्सा आइंस्टीन से इन्होने दूसरी शादी की।
अल्बर्ट आइंस्टीन का निधन
जब जर्मनी में हिटलर का शासन शुरू हुवा तो यहूदी होने के कारण इन्हे जर्मनी छोड़कर अमेरिका आना पड़ा, यहाँ 18 अप्रैल 1955 को प्रिस्टन यूनिवर्सिटी में अध्यापन कार्य के दौरान अल्बर्ट आइंस्टीन की मृत्यु हो गयी। आइंस्टीन के निधन के बाद उनके दिमाग को सुरक्षित रखा गया। जब उनके दिमाग पर रिसर्च की गयी तो पाया गया कि उनके दिमाग में सामान्य लोगों की तुलना में अधिक कोशिकाएं थी।
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अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवन से जुड़े सामान्य प्रश्न
Q – आइंस्टीन के दिमाग में ऐसा क्या खास था?
अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग में सामान्य लोगों की तुलना में अधिक कोशिकाएं थी, जो इनके दिमाग को इतना ख़ास बनाता था।
Q – अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग कहां रखा गया है?
फ्रेडरिक लेपोर ने अपनी 2018 की पुस्तक, “फाइंडिंग आइंस्टीन ब्रेन” में बताया है किआइंस्टीन के विच्छेदित मस्तिष्क को अंततः आइंस्टीन के उत्तराधिकारियों को वापस कर दिया गया था और उन्होंने तुरंत इसे फिलाडेल्फिया में म्यूटर मेडिकल संग्रहालय को दान कर दिया।
Q – अल्बर्ट आइंस्टीन का दिमाग कितना तेज था?
अल्बर्ट आइंस्टीन के दिमाग का IQ Level 160 से 190 के बीच था।
अंतिम शब्द
तो दोस्तों, आज के इस ब्लॉग पोस्ट में हमने आपको दुनिया के महानतम और सबसे तेज दिमाग वाले वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन का जीवन परिचय विस्तार से लेकर अंत तक बताया। हमें उम्मीद है कि इस लेख को पढने के बाद आप अल्बर्ट आइंस्टीन के जीवन से वाकिफ हो गए होंगें। आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा हमें कमेंट बॉक्स में बतायें। साथ ही इस लेख को सोशल मीडिया पर अपने दोस्तों के साथ भी शेयर करें ताकि वे भी अल्बर्ट आइंस्टीन के बारे में जान सकें।