भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Concress) की स्थापना ए. ओ. ह्युम नामक एक अवकाश प्राप्त ब्रिटिश अधिकारी ने भारतीय नेताओं के सहयोग से मुंबई में की थी। इस अधिवेशन में मात्र 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का प्रथम अधिवेशन पुणे में आयोजित किया जाना था लेकिन उसे समय पुणे में प्लेग बीमारी फैल जाने के कारण प्रथम अधिवेशन बम्बई में आयोजित किया गया था। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना के समय भारत का वायसराय लॉर्ड डफरिंग था।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का इतिहास
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) भारत की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। इसकी स्थापना 28 दिसंबर 1885 को ब्रिटिश राज के दौरान हुई थी। कांग्रेस ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 1947 में भारत के स्वतंत्र होने के बाद से भारत में कई बार सत्ता में रही है।
आरंभिक वर्ष
कांग्रेस की स्थापना ब्रिटिश भारत में सुधार और स्वशासन के लिए एक मंच के रूप में हुई थी। इसके संस्थापकों में ए॰ ओ॰ ह्यूम (थियिसोफिकल सोसाइटी के प्रमुख सदस्य), दादा भाई नौरोजी और दिनशा वाचा शामिल थे। कांग्रेस की पहली बैठक बॉम्बे में हुई थी और इसमें 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।
कांग्रेस के शुरुआती वर्षों में, यह एक विविध संगठन था जिसमें विभिन्न विचारधाराओं के लोग शामिल थे। कुछ सदस्य ब्रिटिश शासन के अधीन स्वशासन के लिए काम करना चाहते थे, जबकि अन्य पूर्ण स्वतंत्रता चाहते थे। कांग्रेस ने जल्द ही भारत में एक प्रमुख राजनीतिक शक्ति के रूप में उभरना शुरू कर दिया और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों और आंदोलन चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
स्वतंत्रता आंदोलन
कांग्रेस ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1920 के दशक में, कांग्रेस ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में असहयोग आंदोलन चलाया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार को काफी नुकसान पहुंचाया और भारत में स्वतंत्रता आंदोलन को एक नई गति दी।
1930 के दशक में, कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन चलाया। इस आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ व्यापक विरोध प्रदर्शनों को जन्म दिया। 1942 में, कांग्रेस ने भारत छोड़ो आंदोलन चलाया। इस आंदोलन में कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार से भारत छोड़ने की मांग की।
स्वतंत्रता और उसके बाद के वर्ष
15 अगस्त 1947 को, भारत ब्रिटिश राज से स्वतंत्र हो गया। कांग्रेस ने भारत के स्वतंत्रता के बाद से कई बार सत्ता में रही है। कांग्रेस ने भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और भारत को एक लोकतांत्रिक देश बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कांग्रेस के प्रमुख नेता
कांग्रेस के कई प्रमुख नेता हुए हैं। इनमें से कुछ प्रमुख नेता हैं :
- ए॰ ओ॰ ह्यूम
- दादा भाई नौरोजी
- दिनशा वाचा
- महात्मा गांधी
- जवाहरलाल नेहरू
- लाल बहादुर शास्त्री
- इंदिरा गांधी
- राजीव गांधी
- पी॰ वी॰ नरसिम्हा राव
- मनमोहन सिंह
कांग्रेस के प्रमुख मुद्दे
कांग्रेस के निम्न प्रमुख मुद्दे रहे हैं :
- आर्थिक विकास
- सामाजिक न्याय
- महिला सशक्तिकरण
- शिक्षा
- स्वास्थ्य
- पर्यावरण
कांग्रेस की वर्तमान स्थिति
2023 में, कांग्रेस भारत की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी है। यह लोकसभा में 53 सीटों के साथ सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी है। कांग्रेस वर्तमान में कई राज्यों में सत्ता में है, जिनमें शामिल हैं।
कांग्रेस भारत के लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह भारत के विकास और प्रगति के लिए प्रतिबद्ध है।
कांग्रेस का मुसलमान तुष्टिकरण
कांग्रेस और मुसलमानों की तुष्टिकरण की आरोप एक राजनीतिक आरोप है जो कांग्रेस पार्टी पर लगाया जाता है। इस आरोप के अनुसार, कांग्रेस पार्टी मुसलमानों को खुश करने के लिए विशेष रियायतें और सुविधाएं देती है, जो भारत की एकता और अखंडता के लिए खतरा है।
इस आरोप के समर्थन में कुछ तर्क दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए, कांग्रेस पार्टी ने मुसलमानों के लिए विशेष कानून और योजनाएँ बनाई हैं, जैसे कि मुस्लिम वयस्क शिक्षा योजना और मुस्लिम महिलाओं के लिए निकाह हलाला से मुक्ति कानून। इसके अलावा, कांग्रेस पार्टी ने कई मुस्लिम नेताओं को महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त किया है, जैसे कि इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, और सोनिया गांधी।
इस आरोप के विरोध में भी कुछ तर्क दिए जाते हैं। उदाहरण के लिए, कांग्रेस पार्टी का कहना है कि वह सभी नागरिकों के लिए समान अधिकार और अवसर सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, चाहे उनका धर्म कुछ भी हो। इसके अलावा, कांग्रेस पार्टी का कहना है कि वह मुसलमानों के साथ अन्याय और भेदभाव के खिलाफ लड़ने के लिए प्रतिबद्ध है।
2014 में हुए लोकसभा चुनावों में कांग्रेस पार्टी की हार के बाद से, इस आरोप ने और अधिक जोर पकड़ा है। भाजपा ने चुनावों में जीत हासिल करने के लिए कांग्रेस पार्टी पर मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप लगाया था।
यहां कुछ उदाहरण दिए गए हैं कि कांग्रेस पार्टी ने मुसलमानों के लिए क्या किया है:
- 1950 में, कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिम वयस्क शिक्षा योजना शुरू की, जिसका उद्देश्य मुसलमानों में शिक्षा के स्तर को बढ़ाना था।
- 1986 में, कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिम महिलाओं के लिए निकाह हलाला से मुक्ति कानून पारित किया, जिसने मुस्लिम महिलाओं को अपने पति से तलाक लेने के लिए निकाह हलाला की आवश्यकता को समाप्त कर दिया।
- 1989 में, कांग्रेस पार्टी ने कश्मीर में विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को हटाने का विरोध किया।
- 2004 में, कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिम महिलाओं के लिए हज यात्रा पर रियायतें दीं।
- 2009 में, कांग्रेस पार्टी ने मुस्लिम समुदाय के लिए आर्थिक विकास की योजनाओं की घोषणा की।
जिन लोगों का मानना है कि कांग्रेस ने मुसलमानों के साथ पक्षपात किया है, वे इस बात का हवाला देते हैं कि कांग्रेस ने कई ऐसे कानून और नीतियां बनाई हैं जो मुसलमानों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद हैं। उदाहरण के लिए, कांग्रेस ने 1980 के दशक में मुस्लिम व्यक्तिगत कानून (शारिया) को लागू करने के लिए एक कानून पारित किया था। इस कानून ने मुसलमानों को अपने धार्मिक कानूनों के अनुसार विवाह, तलाक और विरासत को विनियमित करने की अनुमति दी।
इसके अलावा, कांग्रेस ने मुसलमानों के लिए कई आर्थिक लाभों की पेशकश की है। उदाहरण के लिए, कांग्रेस ने मुस्लिम महिलाओं के लिए सस्ते आवास और शिक्षा के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम शुरू किए हैं।
जिन लोगों का मानना है कि कांग्रेस ने मुसलमानों के साथ पक्षपात नहीं किया है, वे इस बात का हवाला देते हैं कि कांग्रेस ने सभी धर्मों के लोगों के लिए समान अधिकार और अवसरों की वकालत की है। वे यह भी तर्क देते हैं कि कांग्रेस ने मुसलमानों के लिए किए गए उपायों को अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक बताया है।
2014 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने के बाद, कांग्रेस ने मुसलमानों के साथ अपने संबंधों पर फिर से विचार करना शुरू किया है। कांग्रेस ने अब मुसलमानों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होने वाले कानूनों और नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने से बचने का प्रयास किया है। इसके बजाय, कांग्रेस ने सभी धर्मों के लोगों के लिए समान अधिकार और अवसरों की वकालत करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
यह स्पष्ट नहीं है कि कांग्रेस और मुसलमानों के बीच संबंध भविष्य में कैसे विकसित होंगे। हालांकि, यह स्पष्ट है कि कांग्रेस इस मुद्दे पर सावधानी से चलना चाहती है। कांग्रेस को यह सुनिश्चित करना होगा कि वह मुसलमानों के साथ अपने संबंधों को बनाए रखते हुए, सभी भारतीयों के लिए समान अधिकार और अवसरों की वकालत करने में सक्षम हो।
यहां कुछ विशिष्ट उदाहरण दिए गए हैं जिनका उपयोग कांग्रेस और मुसलमानों की तुष्टिकरण की अवधारणा का समर्थन करने या खंडन करने के लिए किया गया है:
कांग्रेस ने 1980 के दशक में मुस्लिम व्यक्तिगत कानून (शारिया) को लागू करने के लिए एक कानून पारित किया था। यह कानून मुसलमानों को अपने धार्मिक कानूनों के अनुसार विवाह, तलाक और विरासत को विनियमित करने की अनुमति देता है। कुछ लोग इस कानून को मुसलमानों के साथ पक्षपात के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य का मानना है कि यह अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है।
कांग्रेस ने मुसलमान महिलाओं के लिए सस्ते आवास और शिक्षा के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए कार्यक्रम शुरू किए हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य मुसलमान महिलाओं को सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। कुछ लोग इन कार्यक्रमों को मुसलमानों के साथ पक्षपात के रूप में देखते हैं, जबकि अन्य का मानना है कि यह अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए आवश्यक है।
कांग्रेस ने 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सत्ता में आने के बाद मुसलमानों के साथ अपने संबंधों पर फिर से विचार करना शुरू किया है। कांग्रेस ने अब मुसलमानों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद होने वाले कानूनों और नीतियों पर ध्यान केंद्रित करने से बचने का प्रयास किया है। इसके बजाय, कांग्रेस ने सभी धर्मों के लोगों के लिए समान अधिकार और अवसरों की वकालत करने पर ध्यान केंद्रित किया है।
अंततः, यह प्रत्येक व्यक्ति पर निर्भर है कि वह कांग्रेस और मुसलमानों की तुष्टिकरण की अवधारणा पर क्या विश्वास करता है। इस मुद्दे पर कोई आसान जवाब नहीं है, और इस पर बहस लंबे समय तक चल सकती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि कांग्रेस पार्टी ने मुसलमानों के अलावा अन्य धर्मों के लोगों के लिए भी कई कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं। उदाहरण के लिए, कांग्रेस पार्टी ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी भारत की दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियां हैं। दोनों पार्टियां भारत की राजनीति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। हालांकि, दोनों पार्टियों के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं।
कांग्रेस और बीजेपी में अन्तर
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी भारत की राजनीति में दो प्रमुख विपक्षी दल हैं। दोनों पार्टियों के बीच कई महत्वपूर्ण अंतर हैं, जो उनके विचारधाराओं, नीतियां और नेतृत्व शैली में परिलक्षित होते हैं।
इतिहास
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस भारत की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी है। यह 1885 में ब्रिटिश राज के खिलाफ स्वतंत्रता संग्राम के लिए बनाई गई थी। कांग्रेस ने भारत की आजादी के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आजादी के बाद, कांग्रेस ने भारत की राजनीति में एक प्रमुख भूमिका निभाई और कई बार केंद्र सरकार का नेतृत्व किया।
भारतीय जनता पार्टी एक दक्षिणपंथी हिंदू राष्ट्रवादी राजनीतिक पार्टी है। यह 1980 में बनाई गई थी। भाजपा ने 2014 के आम चुनावों में जीत हासिल की और पहली बार केंद्र सरकार का नेतृत्व किया।
राजनीतिक विचारधारा
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक समाजवादी और सेकुलर राजनीतिक पार्टी है। यह एक बहु-धार्मिक और बहु-सांस्कृतिक देश के रूप में भारत की पहचान को बढ़ावा देती है। कांग्रेस ने सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।
भारतीय जनता पार्टी एक हिंदू राष्ट्रवादी राजनीतिक पार्टी है। यह भारत को एक हिंदू राष्ट्र बनाने का समर्थन करती है। भाजपा ने मुस्लिम विरोधी और हिंदू राष्ट्रवादी नीतियों को लागू किया है।
आर्थिक नीतियां
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक मिश्रित अर्थव्यवस्था का समर्थन करती है। यह निजी क्षेत्र के विकास को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ सरकार की भूमिका को बनाए रखने का समर्थन करती है। कांग्रेस ने आर्थिक विकास और गरीबी उन्मूलन के लिए कई कार्यक्रम शुरू किए हैं।
भारतीय जनता पार्टी एक मुक्त बाजार अर्थव्यवस्था का समर्थन करती है। यह सरकार की भूमिका को कम करने और निजी क्षेत्र को अधिक स्वतंत्रता देने का समर्थन करती है। भाजपा ने आर्थिक सुधारों को लागू किया है जो कॉर्पोरेट व्यवसायों के लिए फायदेमंद रहे हैं।
सामाजिक नीतियां
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक सामाजिक न्याय और समानता का समर्थन करती है। यह महिलाओं, दलितों और अन्य हाशिए के समूहों के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए काम करती है। कांग्रेस ने सामाजिक न्याय और समानता के लिए कई कानून और कार्यक्रम लागू किए हैं।
भारतीय जनता पार्टी एक हिंदू राष्ट्रवादी सामाजिक नीति का समर्थन करती है। यह हिंदू धर्म के लिए विशेषाधिकार और अन्य धर्मों के खिलाफ भेदभाव का समर्थन करती है। भाजपा ने मुस्लिम विरोधी और हिंदू राष्ट्रवादी नीतियों को लागू किया है।
विदेश नीति
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस एक बहुपक्षीय विदेश नीति का समर्थन करती है। यह अंतरराष्ट्रीय संगठनों और सहयोगियों के साथ संबंधों को मजबूत करने का समर्थन करती है। कांग्रेस ने शांति और सहयोग को बढ़ावा देने के लिए कई अंतरराष्ट्रीय प्रयास किए हैं।
भारतीय जनता पार्टी एक राष्ट्रवादी विदेश नीति का समर्थन करती है। यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और हितों को बढ़ावा देने का समर्थन करती है। भाजपा ने पाकिस्तान के साथ संबंधों को तनावपूर्ण बनाने और अमेरिका के साथ संबंधों को मजबूत करने के लिए काम किया है।
इनके अलावा, दोनों पार्टियों के बीच कई अन्य अंतर भी हैं। उदाहरण के लिए, कांग्रेस एक अधिक केंद्रीकृत पार्टी है, जबकि भाजपा एक अधिक विकेन्द्रीकृत पार्टी है। कांग्रेस एक अधिक अनुभवी पार्टी है, जबकि भाजपा एक अपेक्षाकृत नई पार्टी है।
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशनों की सूची
क्रम संख्या | अधिवेशन वर्ष | अधिवेशन स्थल | अध्यक्ष | प्रमुख घटनाएँ |
---|---|---|---|---|
1 | 1885 | बम्बई | व्योमेश चन्द्रबनर्जी | 72 प्रतिनिधि उपस्थित |
2 | 1886 | कलकत्ता | दादाभाई नौरोजी | प्रतिनिधियों की संख्या बढकर 436 हो गई। |
3 | 1887 | मद्रास | सैयद बद्रूद्दीन तैयबजी | प्रथम मुस्लिम अध्यक्ष |
4 | 1888 | इलाहाबाद | जॉर्ज यूल | प्रथम अंग्रेज अध्यक्ष |
5 | 1889 | बम्बई | सर विलियम वेदरबर्न | प्रतिनिधियों की संख्या 1889 हो गई। |
6 | 1890 | कलकत्ता | फिरोजशाह मेहता | |
7 | 1891 | नागपुर | आनन्दचार्लु | |
8 | 1892 | इलाहाबाद | व्योमेश चंद्र बनर्जी | |
9 | 1893 | लाहौर | दादाभाई नौरोजी | |
10 | 1894 | मद्रास | ए.वेब | कांग्रेस संविधान का निर्माण |
11 | 1895 | पुणे | सुरेन्द्रनाथ बनर्जी | |
12 | 1896 | कलकत्ता | रहमतुल्लाह एम. सयानी | पहली बार वन्दे मातरम गाया गया |
13 | 1897 | अमरावती | सी.शंकर नायर | |
14 | 1898 | मद्रास | आनंद मोहन बोस | |
15 | 1899 | लखनऊ | रोमेश चंद्र बोस | |
16 | 1900 | लाहौर | एन. जी. चंदूनरकर | |
17 | 1901 | कलकत्ता | ई. दिंशा वाचा | |
18 | 1902 | अहमदाबाद | सुरेन्द्रनाथ बनर्जी | |
19 | 1903 | मद्रास | लालमोहन बोस | |
20 | 1904 | मुंबई | सर हेनरी कॉटन | |
21 | 1905 | बनारस | गोपाल कृष्ण गोखले | बंग-भंग आन्दोलन एवं स्वदेशी आन्दोलन को समर्थन मिला |
22 | 1906 | कलकत्ता | दादा भाई नौरोजी | स्वराज शब्द का प्रथम बार प्रयोग अध्यक्ष द्वारा किया गया, मुस्लिम लीग की स्थापना |
23 | 1907 | सूरत | ||
24 | 1908 | मद्रास | रासबिहरी घोष | कांग्रेस के लिये एक संविधान |
25 | 1909 | लाहौर | मदनमोहन मालवीय | |
26 | 1910 | इलाहाबाद | सर विलियम वेदरबर्न | |
27 | 1911 | कलकत्ता | बिसन नारायण धर | इस अधिवेशन मे पहली बार राष्ट्रगान गाया गया। |
28 | 1912 | पटना | आर.एन. मुधालकर | |
29 | 1913 | कराची | सैयद मुहम्मद बहादुर | |
30 | 1914 | मद्रास | भूपेन्द्रनाथ बोस | |
31 | 1915 | बम्बई | सर एस.पी. सिन्हा | |
32 | 1916 | लखनऊ | अंबिका चरण मजूमदार | नरम दल एवं गरम दल का एकीकरण, कांग्रेस और मुस्लिम लीग में समझौता, तिलक ने “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है, मैं इसे लेकर रहूंगा” का नारा दिया। |
34 | 1917 | कलकत्ता | एनी बेसेंट | प्रथम महिला अध्यक्ष |
35 | 1918 | दिल्ली | मदनमोहन मालवीय | नरमदल वालों जैसे, एस. एन. बनर्जी का त्यागपत्र |
36 | 1919 | अमृतसर | मोतीलाल नेहरू | |
37 | 1920 | नागपुर | सी. विजय राघवाचार्य | कांग्रेस के संविधान में परिवर्तन |
38 | 1921 | अहमदाबाद | हकीम अजलम खान (कार्यकारी अध्यक्ष) | अध्यक्ष सी.आर.दास जेल में कैद |
39 | 1922 | गया | चित्तरंजन दास | |
40 | 1923 | कोकोनाडा | अबुल कलाम आज़ाद | |
41 | 1924 | बेलगाँव | महात्मा गांधी | |
42 | 1925 | कानपुर | सरोजिनी नायडू | प्रथम भारतीय महिला अध्यक्ष |
43 | 1926 | गोहाटी | श्रीनिवास अयंगर | |
44 | 1927 | मद्रास | एम.ए. अंसारी | जवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर पहली बार स्वतंत्रता प्रस्ताव पारित हुआ। |
45 | 1928 | कलकत्ता | मोतीलाल नेहरू | प्रथम अखिल भारतीय युवा कांग्रेस |
46 | 1929 | लाहौर | जवाहरलाल नेहरू | पूर्ण स्वराज्य प्रस्ताव |
47 | 1930 | अधिवेशन नही हुआ | जवाहरलाल नेहरू अध्यक्ष बने रहे | |
48 | 1931 | कराची | वल्लभ भाई पटेल | मूल अधिकारों तथा राष्ट्रीय आर्थिक नीति प्रस्ताव |
49 | 1932 | दिल्ली | आर.डी. अमृतलाल | |
50 | 1933 | कलकत्ता | श्रीमती नलिनी सेनगुप्ता | |
51 | 1934 | मुंबई | राजेन्द्र प्रसाद | कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन |
52 | 1935 | अधिवेशन नही हुआ | राजेन्द्र प्रसाद | |
53 | 1936 | लखनऊ | जवाहरलाल नेहरू | |
54 | 1937 | फैजपुर | जवाहरलाल नेहरु | पहली बार गाँव में अधिवेशन हुआ |
55 | 1938 | हरिपुरा | सुभाष चन्द्र बोस | |
56 | 1939 | त्रिपुरी | सुभाष चन्द्र बोस | बोस का त्यागपत्र, राजेन्द्र प्रसाद का अध्यक्ष बनना, सुभाष चन्द्र बोस पट्टाभि सीतारमैय्या को हरा कर अध्यक्ष बने। |
57 | 1940 | रामगढ़ | अबुल कलाम आजाद | |
58 | 1941 | अधिवेशन नही हुआ | अबुल कलाम आजाद | |
59 | 1942 | अधिवेशन नही हुआ | अबुल कलाम आजाद | |
60 | 1943 | अधिवेशन नही हुआ | अबुल कलाम आजाद | |
61 | 1944 | अधिवेशन नही हुआ | अबुल कलाम आजाद | |
62 | 1945 | अधिवेशन नही हुआ | अबुल कलाम आजाद | |
63 | 1946 | मेरठ | जीवटराम भगवानदास कृपलानी | |
64 | 1947 | दिल्ली | राजेंद्र प्रसाद |
कांग्रेस की स्थापना के पूर्व स्थापित राजनीतिक संगठन
संगठन का नाम | संस्थापक | स्थापना वर्ष | स्थान |
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लैंडहोल्डर्स सोसाइटी (ज़मींदारी एसोसिएशन) | द्वारकानाथ ठाकुर | 1838 | कलकत्ता |
बंगाल ब्रिटिश इंडिया सोसाइटी | जॉर्ज थॉमसन | 1843 | कलकत्ता |
ब्रिटिश इंडिया एसोसिएशन | द्वारकानाथ ठाकुर | 1851 | कलकत्ता |
मद्रास नेटिव एसोसिएशन | गज़ुलु लक्ष्मीनारसु चेट्टी | 1849 | मद्रास |
बॉम्बे एसोसिएशन | जगन्नाथ शंकशेत | 1852 | बॉम्बे |
ईस्ट इंडिया एसोसिएशन | दादाभाई नौरजी | 1866 | लंदन |
नेशनल इंडियन एसोसिएशन | मैरी कारपेंटर | 1867 | लंदन |
पूना सार्वजनिक सभा | न्यायमूर्ति रानाडे | 1870 | पूना |
भारतीय समाज | आनंद मोहन बोस | 1872 | लंदन |
इंडियन लीग | शिशिर कुमार घोष | 1875 | कलकत्ता |
इंडियन एसोसिएशन | सुरेंद्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस | 1876 | कलकत्ता |
भारतीय राष्ट्रीय सम्मेलन | सुरेंद्रनाथ बनर्जी और आनंद मोहन बोस | 1883 | कलकत्ता |
मद्रास महाजन सभा | जी एस अय्यर, एम वीरराघवचारी, आनंद चार्लू | 1884 | मद्रास |
बॉम्बे प्रेसीडेंसी एसोसिएशन | फिरोज शाह मेहता, केटी तलांग, बदरुद्दीन तैयबजी | 1885 | बॉम्बे |
कांग्रेस में भ्रष्टाचार
कांग्रेस में भ्रष्टाचार एक पुरानी समस्या है। कांग्रेस ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, लेकिन इसके साथ ही पार्टी पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे हैं। कांग्रेस में भ्रष्टाचार के कुछ प्रमुख उदाहरणों में शामिल हैं:
2जी घोटाला : 2008 में, यह आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस सरकार ने 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी में अनियमितताएं की थीं। इस घोटाले में कई कांग्रेसी नेताओं के शामिल होने का आरोप लगा था।
कोयला घोटाला : 2012 में, यह आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस सरकार ने कोयले की खानों की नीलामी में अनियमितताएं की थीं। इस घोटाले में भी कई कांग्रेसी नेताओं के शामिल होने का आरोप लगा था।
व्यापमं घोटाला : 2013 में, यह आरोप लगाया गया था कि मध्य प्रदेश में मेडिकल कॉलेजों की मान्यता में अनियमितताएं की गई थीं। इस घोटाले में भी कई कांग्रेसी नेताओं के शामिल होने का आरोप लगा था।
इन घोटालों के अलावा, कांग्रेस पर अन्य भ्रष्टाचार के आरोप भी लगते रहे हैं। इन आरोपों में शामिल हैं:
- जमीन घोटाला
- सरकारी खरीद में अनियमितताएं
- सरकारी पदों के दुरुपयोग
कांग्रेस ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है। पार्टी का कहना है कि इन आरोपों को राजनीतिक द्वेष के तहत लगाया गया है। हालांकि, कांग्रेस में भ्रष्टाचार के आरोपों ने पार्टी की छवि को काफी नुकसान पहुंचाया है।
इन आरोपों ने जनता में कांग्रेस के प्रति विश्वास को कम किया है। कांग्रेस को भ्रष्टाचार के आरोपों से बचने के लिए अपनी नीतियों और कार्यप्रणाली में सुधार करने की जरूरत है। पार्टी को भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए।
कांग्रेस की सबसे बड़ी खूबी
कांग्रेस की सबसे बड़ी खूबी है इसका लोकतांत्रिक चरित्र। कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है जो सभी विचारधाराओं के लोगों को शामिल करती है। पार्टी में विभिन्न समुदायों और वर्गों के लोग शामिल हैं। कांग्रेस का संगठन भी लोकतांत्रिक है। पार्टी के सभी महत्वपूर्ण निर्णयों को मतदान के माध्यम से लिया जाता है।
कांग्रेस की लोकतांत्रिक चरित्र के कारण यह भारत के लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। पार्टी ने भारत की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और यह भारत को एक लोकतांत्रिक देश बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
कांग्रेस की लोकतांत्रिक चरित्र के कुछ लाभ निम्नलिखित हैं:
- यह पार्टी को विभिन्न विचारधाराओं और समुदायों के लोगों को शामिल करने में मदद करता है।
- यह पार्टी को निर्णय लेने में अधिक पारदर्शिता और जवाबदेही प्रदान करता है।
- यह पार्टी को जनता के प्रति अधिक जवाबदेह बनाता है।
हालांकि, कांग्रेस की लोकतांत्रिक चरित्र कुछ समस्याओं का भी कारण बन सकता है। उदाहरण के लिए, पार्टी में मतभेद और गुटबाजी हो सकती है। इसके अलावा, पार्टी के निर्णय लेने की प्रक्रिया धीमी हो सकती है।
कुल मिलाकर, कांग्रेस की लोकतांत्रिक चरित्र एक बड़ी खूबी है। यह पार्टी को भारत के लोकतंत्र में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में मदद करता है।
कांग्रेस की कुछ अन्य खूबियों में शामिल हैं:
- लंबा और समृद्ध इतिहास
- मजबूत संगठन
- व्यापक आधार
- मजबूत नेतृत्व
हालांकि, कांग्रेस को कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ रहा है। इन चुनौतियों में शामिल हैं:
- भ्रष्टाचार के आरोप
- मतदाताओं के बीच विश्वास की कमी
- पार्टी में आंतरिक मतभेद
कांग्रेस को इन चुनौतियों से निपटने के लिए अपने ढांचे और कार्यप्रणाली में सुधार करने की जरूरत है।