सेंगोल क्या है; सेंगोल राजदंड का इतिहास | What is Sengol? | History of Sengol Scepter

इन दिनों सेंगोल शब्द काफी चर्चा में है, अगर आप भी यह जानना चाहते हैं कि सेंगोल क्या है? तो, आज हम आपको इस आर्टिकल के माध्यम से सेंगोल के बारे में बताने वाले हैं। इस आर्टिकल में आपको जानने को मिलेगा, सेंगोल क्या है? सेंगोल का महत्व क्या है? और, सेंगोल राजदंड का इतिहास क्या है?

हाल ही में भारत ने नई संसद भवन के उदघाटन में सेंगोल का इस्तेमाल किया गया है। नये संसद भवन में सेंगोल की स्थापना की जाएगी इस बात की घोषणा गृहमंत्री अमित शाह ने 26 मई 2023 को ही अपने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के द्वारा कर दी थी। सेंगोल को पूरे विधि-विधान के साथ 28 मई 2023 को भारत के नए संसद भवन में स्थापित किया गया है।

27 मई 2023 को तमिलनाडु के आधीनम महंतो ने केसरिया रंग के कपड़े और शैव परंपरा से जुड़ी मालाएँ पहनकर पीएम श्री नरेंद्र मोदी को सेंगोल सौंपी है। दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सेंगोल का इस्तेमाल भारत मे राजदंड के रूप मे किया जाता है।

सेंगोल के बारे में सारी महत्वपूर्ण जानकारी आपको हमारे इस पोस्ट के माध्यम से दी जा रही है, इसलिए इस पोस्ट को अंत तक जरूर पढ़ें।

सेंगोल क्या है?

सेंगोल भारतीय परंपरा के मुताबिक भारतीय सम्राट के राजदंड का प्रतीक हुआ करता था। यह एक स्वर्ण परत वाला राजदंड है। यह एक छड़ी जैसा दिखता है जो ऊपर से मोटा और नीचे से पतला होता है। इस पर सुंदर-सुंदर नकाशी है और सबसे ऊपर की तरफ नंदी का चित्र बना हुआ है, इसमें भारत का तिरंगा झंडा भी बना है। इसकी लंबाई लगभग 5 फीट होती है।

यह वर्तमान में इस लिए खास है कि यह एक तरह से अंग्रेजों से भारतीयों को ताकत वापस पाने का एक हस्तांतरण था अर्थात “भारत की आजादी का प्रतीक”। सेंगोल जिस शासक को सौंपा जाता है, उससे उम्मीद की जाती है कि वह निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन करेगा।

शनिवार (27 मई 2023) को तमिलनाडु के आधीनम महंतो ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को को सेंगोल सौंपा। इसे बाद में रविवार को सुबह विधि-विधान के साथ नये संसद भवन में सेंगोल को स्थापित किया गया। इसे लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) के आसन के पास स्थापित किया गया हैं।

सेंगोल का शाब्दिक अर्थसेंगोल भारत की तमिल भाषा से निकला हुआ एक शब्द है जिसका अर्थ होता है- धर्म, निष्ठा, न्याय, सच्चाई।

सेंगोल की बनावट कैसी है?

सेंगोल छड़ी के आकार की एक राजदंड है, इसे सोने और चाँदी से बनाया गया है। सेंगोल मे 800 ग्राम सोने की परत चढ़ाई गई है, इसकी लंबाई लगभग 5 फीट है, सेंगोल का मुख्य हिस्सा चाँदी से बना हुआ है और इस पर शानदार डिजाइन भी की गई है जिसमे ऊपर की तरफ भगवान शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा उकेरी गयी है। नंदी को भारतीय सनातन संस्कृति में पवित्र पशु माना जाता है और नंदी को पुराणों में शक्ति-सम्पन्नता और कर्मठता का पशु माना गया है।

सेंगोल का इतिहास

सेंगोल का इतिहास बहुत पुराना है, इसे हम दो भागों में बाँट सकते हैं – सेंगोल का प्राचीन इतिहास एवं इसका आधुनिक इतिहास।

सेंगोल का प्राचीन इतिहास

सेंगोल का इतिहास लगभग 5000 साल पुराना माना जाता है। इसका जिक्र महाभारत और रामायण जैसे ग्रंथों में भी मिलता है। पुराने समय में जब राजा का राजतिलक कर मुकुट पहनाया जाता था तब राजतिलक होने के बाद राजा को धातु की एक छड़ी दी जाती थी, जिसको ‘राजदंड’ कहा जाता था। राजदंड राजा को देने का मतलब होता था कि वह पूरे निष्ठा और सच्चाई से अपने राज्य को चलाएगा। इसके अलावा राजदंड को राजा की मनमानी पर रोक लगाने का साधन भी माना जाता था। सेंगोल, जिसे प्राचीन काल से राजदंड के तौर पर जाना जाता रहा है। यह राजदंड केवल सत्ता का ही प्रतीक नहीं, बल्कि राजा के सामने हमेशा न्यायशील बने रहने और प्रजा के लिए राज्य के प्रति समर्पित रहने के वचन का स्थिर प्रतीक भी रहा है।   

चोल काल के समय भी राजदंड का प्रयोग सत्ता हस्तांतरण करने के लिए किया जाता था। उस वक्त पुराने राजा नए राजा को सैंगोल सौपता था, जब राजा के हाथों में राजदंड सौंपा जाता था। उस दौरान सातवीं शताब्दी के तमिल संत संबंधी स्वामी जी द्वारा रचित एक विशेष गीत भी गाया जाता था। कुछ इतिहासकारों का यह भी मानना है कि सेंगोल का प्रयोग मौर्य और गुप्त वंश के शासकों द्वारा भी किया जाता रहा है।

सेंगोल का आधुनिक इतिहास

जब भारत को अंग्रेजों के गुलामी से आजादी मिली थी तब भारत के आखिरी वायसराय माउंटबेटन के द्वारा भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु को सेंगोल 15 अगस्त 1947 शुरू होने के 15 मिनट पहले आधी रात को ही सौंपा था। बाद में पंडित नेहरू ने सेंगोल को इलाहाबाद के म्यूजियम में अन्य वस्तुओं के साथ रखवा दिया था।

सेंगोल राजदंड किसका प्रतीक है?

सेंगोल राजदंड सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता है। सेंगोल को सदियों पहले दक्षिण भारत की चेरा, चोल और पंड्या वंशों में सत्ता का हस्तांतरण का प्रतीक माना जाता था।

निष्कर्ष

दोस्तों, हमने अपने इस पोस्ट के माध्यम से यह बताने की कोशिश की है कि सेंगोल क्या है? इसकी बनावट कैसी है? सेंगोल का शाब्दिक अर्थ क्या है? सेंगोल का प्राचीन और आधुनिक इतिहास क्या है? सेंगोल की क्या अहमियत है? सेंगोल को नए संसद भवन में क्यों स्थापित किया गया है?

हमें आशा है, आप हमारे इस ब्लॉग पोस्ट से सेंगोल को अच्छी तरह से समझ गए होंगे, और उम्मीद करते हैं कि सेंगोल की यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। अगर यह जानकारी आपके लिए फायदेमंद रही तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करें, और हमें कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरुर दें।

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