प्रदूषण पर निबंध | Pollution Essay in Hindi

Pollution Essay in Hindi लेख में हम प्रदुषण पर चर्चा करेंगे और जानेंगे कि किन-किन कारणों से प्रदूषण बढ़ रहा है, और मानव जीवन पर इसका क्या असर हो रह है? और, कैसे हम इसे रोक सकते है? यह निबंध परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों पर आधारित है। इसलिए मैं आशा करता हूँ कि प्रदूषण पर हिन्दी में निबंध लिखने में ये लेख आपकी मदद करेगा।

प्रस्तावना 

प्रदूषण आज के समय में दुनिया के लिए एक बहुत बड़ी समस्या बन गयी है. प्रदूषण के अर्थ होता है दूषित होना, अर्थात हमारे आस-पास के पर्यावरण का दूषित होना ही प्रदूषण कहलाता है.

आज हम विज्ञान के युग में जी रहे हैं, विज्ञान और बढती टेक्नोलॉजी ने मनुष्य का जीवन तो आसान बना दिया लेकिन हमारे पर्यावरण को पूरी तरह दूषित कर दिया है. पर्यावरण के दूषित हो जाने से हमें आज न शुद्ध हवा मिल रही है, न शुद्ध जल मिल रहा है और यहाँ तक कि खाद्य पदार्थ भी आज के युग में अशुद्ध होते जा रहे हैं. विज्ञान के इस युग में प्रदूषण की मार झेलने को अधिकांश जनता मजबूर है.

प्रदूषण के प्रकार 

तकनीकी और विज्ञान के इस युग में प्रदूषण के प्रकार निरंतर बढ़ते जा रहे हैं जिनमे से कुछ प्रमुख निम्नलिखित हैं  :-

वायु प्रदूषण 

हमारे वातावरण में हवा के दूषित होने को वायु प्रदुषण कहते है. वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण गाडियों और कारखानों से निकलने वाला धुवा हैं. इनसे निकंलने वाले हानिकारक कार्बन डाई ऑक्साइड गैस के कारण प्रकर्ति अत्यंत दूषित हो रही है.

वायु प्रदुषण अधिकतर शहरों में ज्यादा होता है, वायु प्रदुषण से शहरों का हाल ऐसा हो गया है कि यहाँ खुली हवा में साँस लेना बहुत ही कठिन होता जा रहा है.

इन सभी के अलावा हमारे दैनिक जीवन में प्रयोग होने वाली चीजे फ्रीज, AC, रेफ्रिजेटर, ओवन से निकलने वाले हानिकारक कार्बन मोनो ऑक्साइड गैस भी वायु प्रदुषण का एक अहम कारक है.

जल प्रदूषण 

जल की गुणवता में कमी होना जल प्रदुषण कहलाता है. कारखानों से निकलने वाला गंदे पानी नालियों के द्वारा होकर नदियों और समुद्रो तक मिलता है जिससे जल अत्यधिक प्रदूषित होता जा रहा है. जल प्रदूषण की समस्या सभी जगह पर देखी जा सकती है.

प्रतिदिन लाखो टन कचरा समुद्र में फेका जा रहा है जिससे हमारे समुद्र अत्यंत दूषित होते जा रहे है. इससे न बल्कि हमें खतरा है बल्कि जलीयजीवों के लिए भी यह एक बहुत बड़ा खतरा है. शहरों में शुद्ध जल मिल पाना बहुत ही मुश्किल है.

गावों में भी जल प्रदुषण बढ़ता जा रहा है. गांव में अधिकतर लोग जल के श्रोत को दूषित कर रहे हैं, वे पीने योग्य पानी में अपने मवेशियों को नहलाते हैं, कपडे धोते है. जिसकी वजह से प्रदूषित जल पीने से लोग बीमार पड़ने लगते है.

मृदा प्रदूषण

जब उपजाऊ मिट्टी में रासायनिक और अकार्बनिक पदार्थ मिल जाते हैं तो मिट्टी की उर्वरक क्षमता या गुणवता को खत्म कर देते हैं मृदा प्रदूषण कहलाता है. मृदा प्रदुषण को भूमि प्रदुषण भी कहा जाता है. मृदा प्रदूषण प्राकर्तिक और मानवीय दोनों  कारणों से हो सकता है. लेकिन मानवीय कारण इसको अधिक प्रभावित करते है.

कारखानों से निकलने वाले हानिकारक रसायन, मनुष्यों द्वारा प्रयोग किये जाने वाला प्लास्टिक आदि जब मिट्टी से मिल जाते है तो वे मिट्टी की गुणवता को ख़त्म कर देते है जिससे कृषि पर भी गहरा असर पड़ रहा है.

ध्वनी प्रदूषण 

पर्यावरण में अशांति का माहौल और शोर – शराबे के बढ़ने को ध्वनि प्रदूषण कहते है | यह अधिकतर शहरों और भीड़ – भाड़ वाले इलाकों में होता है. शहरों में  24 घंटे यातायात के साधन चलते रहते है, बाजार लगते है जिनसे बहुत अधिक शोरगुल होता है. शादी विवाह में बजने वाले DJ इतनी जोर से आवाज करते हैं कि दूर खड़ा कोई भी व्यक्ति उस आवाज को आसानी से सुन सकता है.

औद्योगीकरण भी ध्वनि प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण कारक है. फैक्टरी , कारखानों में चलने वाली बड़ी – बड़ी मशीने इतनी जोर से आवाजे करती हैं कि आस – पास खड़े व्यक्ति को पास की ही ध्वनि नहीं सुनाई पड़ती है. ध्वनि प्रदूषण के बढ़ने से मानव व जीवों के  सुनने की क्षमता में कमी आ जाती है.

प्रदूषण के प्रभाव

मानव और जीव – जन्तुओ पर प्रदूषण का बहुत ही हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है. वायु प्रदूषण के बढ़ने से हम खुली हवा में सांस नहीं ले पाते हैं. वायु प्रदूषण से फेफड़ो के कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी हो जाती है.

जल प्रदूषण से हमें पीने के लिए स्वच्छ जल नहीं मिल पाता है, जिससे दूषित जल पीने से लाखो लोग डाईरिया जैसी हानिकारक बीमारी से ग्रस्त हो रहे हैं.

मृदा प्रदूषण से फसलों को बहुत नुकसान पहुच रहा है, कृषि योग्य भूमि खत्म होती जा रही है, जिससे निकट भविष्य में भूखमरी भी फ़ैल सकती है.

ध्वनि प्रदूषण से कान खराब होते जा रहे हैं, लोग बहुत ही कम उम्र में सुनने की क्षमता खो रहे हैं, ब्लड प्रेशर जैसी बीमारी बढती जा रही है.

प्रदूषण नियंत्रित करने के उपाय 

  • हमें प्रदूषण को लेकर लोगों को जागरूक करना पड़ेगा, सभी लोगों को पता होना चाहिए कि हम प्रदूषण को नियंत्रित करने में क्या योगदान दे सकते हैं.
  • अधिक से अधिक पेड़ लगाने होंगे, जिससे वातावरण में फैलने वाले कार्बन डाई ऑक्साइड की मात्रा पर नियंत्रण हो सके.
  • कूड़े को इधर – उधर नहीं फेकना चाहिए, कूड़ा हमेशा कूड़ादान में ही डाले.
  • प्रकर्ति को बचाने के लिए हमें औद्योगीकरण को भी कम करना होगा, क्योंकि औद्योगीकरण प्रदूषण का एक बहुत बड़ा कारक है. हमें अधिक संख्या में कारखानों का निर्माण नहीं करना होगा.
  • प्लास्टिक का प्रयोग नहीं करना होगा, प्लास्टिक को खत्म होने में कई हजार वर्ष लग जाते हैं. इसलिए प्लास्टिक की जगह कागज़ का प्रयोग करना होगा.
  • कृषि के लिए जैविक खादों का प्रयोग करना होगा , जिससे भूमि उपजाऊ बनी रहे.
  • जब आवश्यकता हो तभी वाहनों का प्रयोग करना होगा.
  • अपने आस – पास नहरों, नदियों को स्व्च्छ रखना होगा.

उपसंहार

प्रदूषण हमारी इस प्रकर्ति के लिए बहुत बड़ी समस्या है. हमें प्रदूषण के रोकथाम के लिए बहुत तेजी से कदम उठाने होंगे, नहीं तो हमारी यह प्रथ्वी इतनी दूषित हो जाएगी कि यहाँ जीवन असंभव होने लगेगा. प्रथ्वी के हर एक व्यक्ति को प्रदूषण नियंत्रित करने के लिए कदम उठाने होंगे तभी हम प्रदूषण को नियंत्रित कर सकते हैं, और एक स्वच्छ वातावरण में रह सकते हैं.

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Conclusion: Pollution Essay in Hindi

प्रदूषण पर लिखे इस निबंध (Pollution Essay in hindi) से आप समझ गए होंगे प्रदूषण कितनी बड़ी समस्या है. हम सब को वातावरण को शुद्ध रखने के लिए अपनी भूमिका को समझाना चाहिए और एक प्रदूषण रहित समाज का निर्माण करना चाहिए. क्योकि इसी में हम सब की और इस प्रथ्वी की भलाई है.