दहेज प्रथा पर निबंध | Dowry System Essay in Hindi

दहेज प्रथा के बारे में तो आप सभी भली – भांति परिचित होंगे. आज के समाज में दहेज प्रथा नारी जाति के लिए एक अभिशाप बन गया है. दहेज प्रथा पर निबंध लिखने का हमारा यही मकसद है कि लोगों को ये बताना कि आज के समय में दहेज से कई लोग कर्ज में डूब जाते हैं. हमें कोशिस यही करनी चाहिए कि दुल्हन पक्ष से दहेज न लें, लेकिन इस बात अपर कोई अमल नहीं करता है. दहेज प्रथा पर निबंध (Dowry System Essay in Hindi) लिखने का यही उद्देश्य है कि लोगों को इस कुरीति के बारे में जागरूक कर सकें. और इसके भयावह दुष्परिणाम से अवगत करा सकें.

प्रस्तावना

भारत में प्राचीनकाल से चलीं आ रही अनेक एसी प्रथाएँ हैं जो समय के साथ कुरीतियों का रूप धारण कर चुकी हैं. दहेज प्रथा भी इन्ही में से एक हैं.

गरीब परिवार और जिनके घर में अधिक लड़कियां हैं उनके लिए दहेज प्रथा किसी अभिशाप से कम नहीं है. दहेज नामक इस भूत ने आज ऐसे परिवारों का सुख चैन छीन कर रख दिया है.

अनेक किशोरियां विवाह से पूर्व ही आत्महत्या कर लेती हैं और कईयों को विवाह के बाद अनेक प्रताड़ना झेलना पड़ता है. इस समस्या से अनेक लोग कर्ज में डूब जाते हैं और जिंदगी भर कर्ज क्र बोझ टेल डूबे रहते हैं.

दहेज प्रथा क्या है?

दहेज प्रथा एक ऐसी प्रथा है जिसमे विवाह के अवसर पर कन्या पक्ष की ओर से कन्या के माता पिता वर पक्ष को ख़ुशी पूर्वक उपहार के तौर में धन, दौलत, आभूषण दिया करते हैं. इसे ही दान या दहेज कहते हैं.

यह प्रथा कब से चली आ रही है इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता है. रामचरित मानस में भी इसका उल्लेख मिलता है. जब भगवन श्रीराम ने स्वयंबर जीतकर सीता से विवाह किया तो राजा जनक ने बेटी की विदाई में दहेज दिया था.

इसके अलावा महाभारत में भी इसका उल्लेख मिलता है. जब पांडव द्रोपदी के साथ हस्तिनापुर लौट रहे थे तो राजा द्रुपद ने सोने , चांदी के आभूषण, अनेक सोने के रथ आदि पांडवों को दहेज के रूप में दिए थे.

प्राचीन भारत में दहेज लड़की के पिता ख़ुशी पूर्वक दिया करते थे, लेकिन आज का समय बिलकुल विपरीत है. अनेकों ऐसे मामले सामने आते हैं जिसमे वर पक्ष के द्वारा कन्या पक्ष को कम दहेज देने पर प्रताड़ित किया जाता है. एक पिता को बेटी की शादी में सबसे बड़ी चिंता यही रहती है कि दहेज के लिए पैसा कहाँ से जुटाए. इस प्रथा ने आज के समय में एक बहुत ही क्रूर रूप धारण कर लिया है.

दहेज प्रथा एक अभिशाप

यह बड़े ही दुःख और चिंता की बात है कि आज दहेज की मांग जोर – जबरदस्ती के साथ की जाती हैं. आज दहेज के लिए दुल्हों की कीमते लगने लगी हैं.

डॉक्टर, इंजिनियर लड़के की मांग 15 – 20 लाख और उच्च पदों वाले लड़कों की मांग 50 लाख तक पहुच गयी है. और एक लड़की का पिता मजबूर होकर अपनी बेटी के बेहतर भविष्य के लिए यह कीमत कर्ज लेकर चुकाता है.

यह बड़े ही दुर्भाग्य की बात है. जहाँ प्राचीन भारत में ख़ुशी के तौर पर दहेज दिया जाता था. और आज के समाज में वर पक्ष इसका फायदा उठाते हैं. और अगर उचित दहेज न दिया गया तो उनकी बेटी से साथ बहुत ही दुर्व्यवहार किया जाता है, कभी – कभी तो बेटियों को मार तक दिया जाता है.

इसी दहेज के कारण घर में लड़की का जन्म लेना एक बोझ समझा जाता है. लकड़ी का पिता खुद को मजबूर और दहेज के बोझ में दबा हुवा महसूस कर रहा है. और इस कुप्रथा का पालन करने के लिए वह मजबूर है.

दहेज के अभाव में पढ़ी – लिखी लड़कियों को एक योग्य वर नहीं मिल पाता है. ऐसे में उसे मजबूरन एक अयोग्य से शादी करनी पड़ती है. और कुछ लड़कियां तो जीवन भर कुवांरी रहती है. प्राचीन काल में ख़ुशी से प्रारंभ होने वाली यह प्रथा आज एक अभिशाप बन चुकी है. इस प्रथा ने नारी जाती के जीवन को नरक बना कर रख दिया है.

दहेज प्रथा के दुष्परिणाम

दहेज प्रथा के अनेक दुष्परिणाम उभरकर सामने आये हैं

  • योग्य लड़कियों को एक अयोग्य वर मिलना
  • विवाह के बाद ससुराल में प्रताड़ना झेलना – जिन लकडियो के माता पिता उसे वर पक्ष की मांग के अनुरूप दहेज नहीं दे पाते हैं, तो शादी के बाद उसे बहुत प्रताड़ना झेलनी पड़ती है. जिससे वह आत्महत्या तक के कदम भी उठा लेती है. कई लड़कियों को ससुराल में मार भी दिया जाता है.
  • लड़की के माता पिता का कर्ज में डूब जाना.

दहेज प्रथा के यह दुष्परिणाम बहुत ही भयावह हैं. इस दहेज के कारण अनेको परिवारों की हंसी छिन जाती है. लड़कियों को हमेशा बोझ समझा जाता है.

दहेज प्रथा के रोकथाम के उपाय 

दहेज प्रथा को हमारा समाज ही रोक सकता है. समाज को दहेज लेने और दहेज देने वाले दोनों का ही बहिष्कार करना चाहिए. लड़को को आगे आना चाहिए उन्होंने दहेज लेने से इंकार करना चाहिए. जन – जन को दहेज के दुष्परिणाम के बारे में जागरूक होना चाहिए , तब जाकर कहीं इस दहेज का अंत हो सकता है.

दहेज प्रथा को ख़त्म करने के लिए सरकार ने दहेज – निषेध अधिनियम तो बनाया जरुर है , पर इस नियम का सख्ती से पालन नहीं हो रहा है. ऐसे में सरकार को कुछ कड़े फैसले लेने की जरुरत है. दहेज की मांग जबरदस्ती करने वालो को सजा सुनाई जानी चाहिए.

उपसंहार

दहेज प्रथा सच में आज के समाज में एक बहुत ही गंभीर समस्या है , अगर इस प्रथा का जल्द ही अंत नहीं किया गया तो भविष्य में इसके और भी भयानक दुष्परिणाम देखने को मिल सकते हैं. हम सब को जरुरत है दहेज के खिलाफ आवाज उठाने की तभी इस दहेज से मुक्ति मिल सकती है.

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निष्कर्ष: दहेज प्रथा पर निबंध

आपको हमारा दहेज प्रथा पर लिखा गया निबंध (Dowry System Essay in Hindi) कैसा लगा कमेन्ट करके जरुर बताइए. आप में से जो लोग अभी अविवाहित है उनसे भी अनुरोध रहेगा कि आप भी कभी अपनी शादी में दहेज की मांग न करें. अंत में आपसे निवेदन करेंगें कि इस निबंध को अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर भी शेयर करें और उन्हें भी समाज की इस कुरीति से अवगत करवाएं.