दोस्तों! बिहार भारत का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध राज्य है, जहाँ बहुत सी महत्वपूर्ण नदियाँ बहती है, जिसने इसके पूरे परिदृश्य, अर्थव्यवस्था और जीवन-शैली को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इन नदियों ने सभ्यताओं को कायम रखा है, व्यापार को सुविधाजनक बनाया है और लाखों लोगों के लिए आजीविका का स्रोत प्रदान किया है। इस लेख में, हम बिहार की प्नरमुख दियों (Major Rivers of Bihar) के बारे में विस्तार से एवं तथ्यात्मक जानकारी देंगे।
बिहार में दो प्रकार की नदियाँ हैं :—
- उत्तर बिहार की नदियाँ और
- दक्षिण बिहार की नदियाँ।
उत्तर बिहार की नदियाँ वे हैं जो बिहार के उत्तर दिशा से बहती हुई आती है। इसमें सबसे प्रमुख नदी गंगा है और इसकी सहायक नदियों में घाघरा, गंडक, बूढ़ी गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा इत्यादि नदियाँ है।
उत्तर बिहार की नदियाँ
उत्तर बिहार की सबसे प्रमुख नदी गंगा है और इसकी सहायक नदियाँ घाघरा, गंडक, बूढी गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा इत्यादि है।
गंगा नदी
(i) गंगा नदी उत्तरांचल के उत्तरकाशी जिले के गंगोत्री ग्लेशियर से निकलती है, जो केदारनाथ चोटी के उत्तर में गोमुख नामक स्थान पर है। इसकी ऊंचाई समुद्र तल से 6600 मीटर है।
मुख्य हिमालय में बहते हुए जाह्नवी नदी भागीरथी से गंगोत्री के निकट मिलती है। गंगा नदी वास्तव में भागीरथी और अलकनंदा नदियों का सम्मिलित रूप है। अलकनंदा और भागीरथी देवप्रयाग के निकट मिलकर एक हो जाती है और यहां से गंगा कहलाने लगती है।
देवप्रयाग के बाद गंगा शिवालिका श्रेणी को काटते हुए गंगा नदी के नाम से ऋषिकेश और हरिद्वार पहुंचती है। गंगा नदी हरिद्वार के पास समतल में बहना प्रारंभ करती है।
(ii) गंगा नदी बिहार के बक्सर जिले में चौसा के निकट प्रवेश करती है।
नोट :— (a) गंगा नदी बिहार के बक्सर, भोजपुर, सारण, पटना, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, लखीसराय, मुंगेर, खगड़िया, भागलपुर और कटिहार जिले से होकर गुजरती है।
(b) गंगा नदी सबसे अधिक पटना जिले से होकर बहती है, जबकि द्वितीय स्थान भागलपुर का है।
(iii) गंगा नदी के बाएँ तट पर मिलने वाली नदियां या उत्तर बिहार से आकर मिलने वाली नदियां-
- गंगा
- घाघरा- छपरा के निकट।
- गंडक- सोनपुर के निकट।
- बूढ़ी गंडक- मुंगेर के निकट।
- बागमती
- कमला बलान- काढागोला, कटिहार के निकट।
- कोसी- कुरसैला, कटिहार के निकट।
- महानंदा- काढ़ागोला के आगे, कटिहार के निकट।
(iv) गंगा नदी के दाएँ तट पर मिलने वाली नदियाँ या दक्षिण बिहार से आकर मिलने वाली नदियां-
- कर्मनाशा नदी- बक्सर जिले का एक गांव चौसा के निकट।
- सोन- मनेर, पटना के निकट।
- पुनपुन- फतुहा के निकट, पटना।
- क्यूल- लखीसराय के निकट।
- घोघा- कहलगांव के निकट, भागलपुर।
(v) भागलपुर के निकट गंगा बिहार से निकलकर झारखंड (साहेबगंज) में बहती हुई पश्चिम बंगाल में प्रवेश करती है।
(vi) पश्चिम बंगाल में यह दो शाखाओं में बंट जाती है। एक शाखा भागीरथी के नाम से जानी जाती है जो बाद में चलकर हुगली नदी नाम से बंगाल की खाड़ी में गिरती है, जबकि दूसरी शाखा बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है और मेघना नदी से मिल जाने के बाद पद्मा नदी के नाम से जानी जाती है और तब बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
(vii) बिहार की नदियों का लगभग शत-प्रतिशत जल गंगा के द्वारा ही बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
घाघरा नदी
(i) घाघरा नदी को सरयू नदी के नाम से भी जाना जाता है।
नोट:— (a) इस नदी की चर्चा पौराणिक साहित्य व धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
(b) यमुना और गोमती नदी के बाद सरयू नदी गंगा की मुख्य सहायक नदी है जो अपने तेज प्रवाह एवं गर्जन के कारण घग्घर नाम से जानी जाती है।
(ii) यह नदी हिमालय में नेपाल के नेपा नामक स्थान के माप्चा चुंका ग्लेशियर से निकलती है। इसके बाद यह उत्तर प्रदेश में बहती हुई बिहार में प्रवेश करती है।
(iii) बिहार में यह सिवान और सारण जिले में 50 किलोमीटर बहने के पश्चात गंगा में मिल जाती है।
गंडक नदी
(i) गंडक नदी नेपाल के पास तिब्बत के अन्नपूर्णा मान गमोट एवं कुतांग से निकलती है।
(ii) नेपाल में इसे सप्तगण्डकी कहा जाता है। इसकी मूल धारा को नारायणी भी कहा जाता है।
(iii) नेपाल में बहने के पश्चात यह नदी उत्तर प्रदेश में प्रवेश करती है और उसके बाद बिहार में पश्चिम चंपारण, गोपालगंज, पूर्वी चंपारण, मुजफ्फरपुर, सारण एवं वैशाली जिले का सीमा निर्धारण करते हुए सोनपुर में (हाजीपुर के निकट) गंगा में मिल जाती है।
नोट:— शतपथ ब्राह्मण में इसे सदानीरा नदी के नाम से संबोधित किया गया है।
(iv) पहले गंडक नदी में बिहार में अपने विभीषिका के कारण विख्यात थी लेकिन वाल्मीकि नगर, भैंसा लोटन में बैराज बनने के कारण यह भी अब जीवनदायिनी नदी बन गई है।
(v) गंडक नदी की कुल लंबाई 428 किलोमीटर है।
बूढ़ी गंडक
(i) नेपाल में हिमालय के सुमेश्वर श्रेणी से निकलती है।
नोट:— यह पूर्वी चंपारण के ठीकराहा चौर से निकलती है।
(ii) बिहार में पूर्वी चंपारण में प्रवेश करती है और सीतामढ़ी, मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर और खगड़िया होते हुए मुंगेर के पास गंगा में मिल जाती है।
(iii) मोतिहारी, मुजफ्फरपुर और समस्तीपुर शहर बूढ़ी गंडक के तट पर बसे हैं।
नोट:— (a) उत्तर बिहार की अन्य नदियों की भांति बूढ़ी गंडक को हिमक्षेत्र का जल नहीं मिलता फिर भी इसमें वर्ष भर जल प्रवाह बना रहता है।
(b) उत्तर बिहार की सबसे विशाल जलधारा वाली नदी बूढ़ी गंडक है।
(c) हिमालय से आने वाली गंगा की सहायक नदियों में बूढ़ी गंडक सबसे लंबी है।
बागमती नदी
(i) बागमती नदी नेपाल में हिमालय की महाभारत श्रेणी से निकलती है जो उत्तर बिहार की दूसरी विशाल नदी है।
(ii) बागमती नदी अपना प्रवाह बदलने के कारण वह भयंकर बाढ़ के लिए कुख्यात रही है।
(iii) बागमती नदी की सहायक नदियां हैं- ललबकिया, लाखनदेई, दरभंगा बागमती।
(iv) बागमती नदी बूढ़ी गंडक की सहायक नदी है जो बहुत दूर तक बूढी गंडक के समानांतर रूप में प्रवाहित होने के बाद रोसरा के निकट बूढी गंडक में मिल जाती है।
कमला बलान
(i) यह नेपाल में हिमालय के महाभारत श्रेणी से निकलती है।
(ii) यह नेपाल की तराई से होती हुई जयनगर के समीप बिहार में प्रवेश करती है और मधुबनी-दरभंगा क्षेत्र से होते हुए कोसी नदी में मिल जाती है।
नोट:— ऐसा अनुमान है कि प्राचीन समय में कमला बलान नदी कोसी में न मिलकर काढ़ागोला के पास गंगा में मिलती थी।
(iii) कमला बलान के सहायक नदियों में सोनी, डोरी एवं बलान आदि प्रमुख है।
कोसी नदी
(i) यह नेपाल के भीम मंडित चोटी से निकलकर सप्तकौसिक क्षेत्र में प्रवेश करती है। यहां इसकी जलधाराएं सात धाराओं में बंट जाती है और अंततः त्रिवेणी में मिलकर कोसी को जन्म देती है।
(ii) बिहार में यह सहरसा जिले के हनुमान नगर में प्रवेश करती है और कुरसैला के पास गंगा में मिल जाती है।
नोट:— सप्तकौसिक कहे जाने वाले 7 धाराओं के नाम इस प्रकार है- सूत, भोटिया, तंबा, लिखुर, दूध, अरुण तथा तांबर कोसी।
(iii) 1954 से पहले कोसी को बिहार का शोक कहा जाता था, लेकिन 1954 में हनुमान नगर में बैराज बन जाने के बाद खुशहाल नदी के नाम से जाना जाने लगी, लेकिन 2008 के प्रलयकारी बाढ़ ने इसे पुनः बिहार का शोक घोषित कर दिया है।
महानंदा नदी
(i) यह नदी हिमालय (नेपाल) के महाभारत श्रेणी से निकलती है।
(ii) बिहार के पूर्णिया एवं कटिहार जिले में बहते हुए मनिहारी (कटिहार) घाट के पास गंगा में मिल जाती है।
नोट:— (a) हिमालय से निकलने वाली नदियां चिरस्थाई होती है।
(b) हिमालय से निकलने वाली नदियां अपना मार्ग बदलने के लिए विख्यात है।
(c) महानंदा नदी बिहार और पश्चिम बंगाल का सीमा निर्धारण करती है।
दक्षिण बिहार की नदियाँ
दक्षिण बिहार की नदियां झारखंड के छोटानागपुर के पठारों से निकलती है। यह दक्षिण से उत्तर की ओर बहती है, क्योंकि गंगा का दक्षिण तट अधिक ऊंचा है। अतः यह नदियां कुछ दूरी तक गंगा के समानांतर बहने के पश्चात न्यूनकोण बनाते हुए जहाँ गंगा का तट नीचा होता है वहां गंगा में मिल जाती है।
सोन नदी या सोनभद्री नदी
(i) सोन नदी का उद्भव मध्यप्रदेश के मैकाल पर्वत के अमरकंटक नामक स्थान से हुआ है। यह उत्तर भारत की बड़ी नदियों में से एक है और गंगा की मुख्य सहायक नदियों में से एक है।
(ii) अमरकंटक से निकलकर सोनभद्र पहले उत्तर की ओर बहती है फिर उसकी प्रवाह दिशा उत्तर-पूर्व से पूर्व की ओर हो जाती है।
(iii) झारखंड में यह गढ़वा जिले में प्रवेश करती है और बिहार में यह रोहतास जिले में प्रवेश करती है तथा औरंगाबाद, रोहतास, जहानाबाद, भोजपुर और पटना में बहते हुए मनेर के पास गंगा में मिल जाती है।
नोट:— (a) सदियों पहले सोन नदी मनेर के स्थान पर बांकीपुर में गंगा से मिलती थी।
(b) सोन नदी पहले मगध की राजधानी गिरिब्रज के निकट से गुजरती थी जिसका उल्लेख रामायण के बालकांड में मिलता है तथा इसका नाम सुमागधी या मगधी था।
(c) प्राचीन मिस्र के भूगोलवेत्ता टॉलेमी ने भी इसका उल्लेख किया है।
(d) सोन नदी का एक और नाम हिरण्यवा भी है।
(e) पुराणों के अनुसार सोन नदी और नर्मदा नदी का उद्गम ब्रह्मा के आंसू के दो बूंदों से हुआ है जो अमरकंटक के ढालो पर गिरा था।
(f) कालिदास के रघुवंशम में भी सोन नदी का उल्लेख मिलता है।
(iv) कालिदास ने गंगा और सोन के संगम पर स्थित है पुष्यपुर का उल्लेख एरियन तथा मेगस्थनीज ने बिगड़े हुए रूप में एरानवास कह कर पुकारे हैं।
(v) बिहार में भवन निर्माण में सोन नदी का बालू उत्तम कोटि का है।
(vi) डेहरी के पास रेणुकूट नामक स्थान से इस नदी के द्वारा दो नहरें निकाली गई है।
(vii) इस नदी की कुल लंबाई 780 किलोमीटर है।
पुनपुन नदी
(i) यह नदी मध्यप्रदेश के पठारी भाग से निकलती है तथा सोन के समान ही उत्तर-पूर्व की दिशा में बहती हुई पटना में फतुहा नाम के स्थान के निकट गंगा में मिल जाती है।
(ii) यद्यपि दक्षिण बिहार की अन्य भांति पुनपुन नदी भी एक बरसाती नदी है किन्तु गर्मी के दिनों में इस नदी का जल नही सुख पाता है।
(iii) पुनपुन नदी को हिन्दु लोग अत्यधिक पवित्र मानते हैं और ऐसी मान्यता है कि इसमें स्नान कर गया में पिंडदान करने से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है।
(iv) गंगा में मिलने से पहले पुनपुन नदी में मोहर और दर्घा नाम की सहायक नदियाँ मिलती है।
फल्गु नदी
(i) फल्गु नदी या उन्नतशीलता सोन के बाद दक्षिणी बिहार की मुख्य नदी है। यह नदी छोटानागपुर पठार से छोटी-छोटी सरिताओं से निकलती है। इसकी मुख्यधारा का नाम निरंजना या लिलाजन है। बोधगया के निकट एक मोहना नामक सहायक नदी से मिलकर यह विशाल रूप धारण कर गया के निकट इसकी चौड़ाई अधिक हो जाती है।
(ii) इस नदी के किनारे पितृपक्ष का मेला लगता है और पूरे भारत से आकर लोग यहां पिंडदान करते हैं।
कर्मनाशा नदी
(i) यह नदी विंध्याचल की पहाड़ियों से निकलकर उत्तर-पूर्व की दिशा में बहती हुई चौसा के पास गंगा में मिल जाती है।
(ii) यह नदी बहुत दूर तक अपने प्रवाह से बिहार और यूपी के बीच सीमा का निर्धारण करती है।
(iii) पौराणिक कथाओं के अनुसार यह नदी त्रिशंकु नामक दैत्य के शरीर से निकलती है, अतः इसे अशुभ नदी माना जाता है।
क्युल नदी
(i) यह हजारीबाग जिले के खड़गडीहा नामक स्थान से निकलती है।
(ii) इसमें कई धारा प्रवाहित होती है तथा सूर्यगढ़हा के पास गंगा में मिल जाती है।
सकरी नदी
(i) यह नदी छोटा नागपुर पठार से निकलकर हजारीबाग, गया, पटना और मुंगेर जिले से होकर बहती है।
(ii) उत्तर-पूर्व की दिशा में बहती हुई सकरी नदी अन्ततः क्युल नदी में मिल जाती है।
पंचाने नदी
(i) यह नदि गया जिले से बहनेवाली पांच जलधाराओं के मिलने से बनी है जो छोटानागपुर के पठारी से निकलती है।
(ii) बिहारशरीफ से आगे जाने पर कई शाखाओं में बंट जाती है और अन्ततः सकरी नदी में मिल जाती है।
बिहार के महत्वपूर्ण नदियों के उद्गम एवं मिलन स्थल
क्र. सं | नदियों के नाम | उद्गम स्थल | मिलन स्थल |
---|---|---|---|
1 | गंगा नदी | गंगोत्री | बंगाल की खाड़ी |
2 | बूढी गंडक | सोमेश्वर श्रेणी | मुंगेर के उत्तर (गंगा) |
3 | कोसी | सप्तकौसिकी | कुरसैला (गंगा) |
4 | बागमती | महाभारत श्रेणी | बूढी गंडक |
5 | महानंदा | महाभारत श्रेणी | कटिहार के निकट (गंगा) |
6 | गंडक | अन्नपूर्णा, मानगमोट | सोनपुर (गंगा) |
7 | घाघरा | माप्चा चुंगा | छपरा (गंगा) |
8 | कमला | महाभारत श्रेणी | काढागोला (गंगा) |
9 | सोन | अमरकंटक मध्यप्रदेश | पटना में (गंगा) |
10 | पुनपुन | मध्यप्रदेश की पठारी भाग | फतुहा, पटना (गंगा) |
11 | कर्मनाशा | विंध्याचल पर्वत | चौसा के उत्तर (गंगा) |
12 | फल्गु | छोटानागपुर पठार | टाल क्षेत्र (मोकामा) |
13 | सकरी | छोटानागपुर पठार | टाल क्षेत्र (मोकामा) |
14 | पंचाने | छोटानागपुर पठार | सकरी नदी |
15 | अजय | वटपार्क (छोटानागपुर) | गंगा (पश्चिम बंगाल) |
16 | क्यूल | हजारीबाग के खडगडीहा | सूर्यगरहा (गंगा) |
निष्कर्ष : Major Rivers of Bihar
बिहार की प्रमुख नदियां (Major Rivers of Bihar) न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का हिस्सा हैं, बल्कि यह बिहारी समाज, संस्कृति, अर्थव्यवस्था और प्राकृतिक वातावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है। लेकिन इन सबके बावजूद इन नदियों से बाढ़, प्रदूषण और जल संकट जैसी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है। इसलिए इन नदियों का सही प्रबंधन और संरक्षण महत्वपूर्ण है, ताकि बिहार के प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा की जा सके।